कायरता कर: युद्ध न लड़ने वाले इसलिए ब्रिटेन में अय्याश लोग बुजदिल लोग टैक्स भरते थे। यह बात 12वीं से 13वीं सदी की है। तब युद्ध से घबराए अमीर लोगों को बुजदिली का टैक्स भर युद्ध से दूर रहने का विकल्प मिलता था। इस टैक्स के माध्यम से बड़े-बड़े लोगों और जागीरदारों की कमी के डर से राहत मिल गई थी।
वैसे तो आपने एक से एक टैक्स के बारे में विस्तार से सुना होगा लेकिन बुजदिली के टैक्स के बारे में शायद ही कभी सुना होगा। मध्यकाल में ये टैक्स देकर अय्याश लोग युद्ध से बचते थे। जिससे उनके पास अय्याशियों के लिए भरपूर मौका मिला था। साथ ही वे इस डर से भी बच जाते थे कि युद्ध में कहीं भी उनका कोई आक्रमण न हो। ये टैक्स किंग हैनरी 1 (1100–1135) से लेकर स्टीफन (1135–1154) के कार्यकाल के दौरान रहता है।
बता दें कि मध्यकाल में देशों के बीच युद्ध की आम बात हुई थी। कोई भी देश दूसरे देश पर हमला कर उस पर कब्जा किए हुए थे। उस दौर में हर युवा की सेना में जाना जरूरी हो गया था। लेकिन अमीर युवाओं ने अन्वेषण को भी तोड़ दिया।
शील्ड मनी भी कहा गया था
स्पॉट किए जाने पर इस टैक्स को स्कूटेज या शील्ड मनी भी कहा गया था। दिलचस्प बात यह है कि यह टैक्स न सिर्फ युद्ध के दिनों में देना पड़ता था जबकि इसे आम दिनों में भी भर देते थे। जिससे युवा अमीर की जगह किसी और को सेना में भर्ती कर उसे शिक्षा दी जा सके।
उसी दौरान इस टैक्स का जबरदस्ती धंधा करने लगा था. आलम यह था कि 12वीं, 13वीं सदी के बाद ब्रिटेन के अन्य देशों ने भी इसे अपना लिया। फ्रांस और जर्मनी में भी इस टैक्स को अपना लिया था। इस टैक्स का प्रयोग राजस्व बढ़ाने के लिए किया जाने लगा। हालांकि 14वीं सदी में इस टैक्स पर रोक लग गई। इसके बाद आय बढ़ाने के लिए अलग-अलग विकल्प ढूढ़े गए।
अवैध टैक्स
उस दौर में एक टेक्स ग्राइंडर पर लग रहा था। इसकी शुरुआत 1696 में ब्रिटिश राजा विलियम III की थी। तब महलनुमा घर होते थे, जितने सभी खिड़कियां होती थीं। 6 सीसीटीवी के बाद ये टेक्स लागू हो जाता है.. ये कर वसूलना आसान था, क्योंकि तब अपार्टमेंट तो होते नहीं थे और हर घर की खिड़कियों से ही नजर आ जातीं।
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