एलिज़ाबेथ द्वितीय: इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ II (एलिजाबेथ II) को पूर्व में मारने की कोशिश में 21 वर्षीय जसवंत सिंह चैल को दोषी करार दिया गया। जसवंत सिंह चैल एलिजाबेथ के घर में एक लोडेड क्रॉसबो ले लिया गया था। उसने अपने अपराध को स्वीकार करते हुए कहा कि मैं महारानी को मारने के लिए आया हूं। उसे लंदन के पश्चिम में महल के मैदान में 2021 में क्रिसमस पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
हालांकि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का पिछले साल दिसंबर में 96 साल की उम्र में निधन हो गया था। साथ ही उन्हें मारने की कोशिश करने वाले दिन वो अपने बेटे (अब) किंग चार्ल्स और परिवार के अन्य करीबी सदस्यों के साथ पैलेस में थे।
योजना महीनों में बनती है
अदालत में अभियोजक ने कहा कि चैल ने हमलों की योजना बनाने के मानक महीने थे। पैलेस के मैदान में घुसने के बाद उसके सुरक्षा अधिकारियों से सामना हुआ। उसी दौरान उनके पास से एक क्रॉसबो बरामद हुआ, जो एक प्रकार का सुपरसोनिक एक्स-बो था। इससे गंभीर चोट लगने की आशंका थी। साउथ इंग्लैंड के साउथेम्प्टन के चैल ने पैलेस के मैदान में घुसने से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसे उसने अपनी गिरफ्तारी से करीब 10 मिनट पहले अपनी संपर्क सूची में भेजा था। वीडियो में उसने कहा था, “मैंने जो किया है और मैं करूंगा जो उसके लिए मुझे खेद है। मैं शाही परिवार की रानी एलिजाबेथ द्वितीय की हत्या करने की कोशिश कर रहा हूं।”
अमृतसर जलियांवाला का बदला लेना चाहता था
जसवंत सिंह चैल ने ऐसा कदम 1919 के अमृतसर जलियांवाला बाग में मारे गए लोगों के लिए उठाया था। चैल ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि ब्रिटिश सैनिकों ने उत्तर-पश्चिमी भारत के अपने पवित्र शहर अमृतसर में लगभग 400 सिक्खों की गोलियों से हत्या कर दी थी।
चैल को शुक्रवार (3 फरवरी) को लंदन के ओल्ड बेली कोर्ट में वीडियो लिंक के माध्यम से पेश किया गया। उसे जान से मारने की धमकी देना, हथियार रखने और देशद्रोह अधिनियम के तहत तीन दोषी करार दिए गए। हालांकि जज जेरेमी बेकर ने कहा कि वो 31 मार्च को चैल को सजा सुनेंगे। कोर्ट ने चैल की मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया। चैल 40 साल में पहला व्यक्ति है जिसे 1842 के देशद्रोह अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया है।