धर्मांतरण कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट: सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों की ओर से दायर धर्म परिवर्तन कानून (धार्मिक रूपांतरण कानून) की याचिका को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ताओं को नामांकन के लिए सहमति हो गई है। मामले में अगली सुनवाई अब तीन हफ्ते बाद होगी। इससे पहले केंद्र और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी कर सभी याचिकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में प्रवास करने के लिए कहा गया है।
भारत के प्रमुख न्यायमूर्ति (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ (डीवाई चंद्रचूड़) की अध्यक्षता वाली याचिका ने एक सामान्य याचिका याचिका पर सेंटर और छह संबधित राज्यों से जवाब भी मांगा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उन याचिकाओं में नोटिस जारी करें, याचिका दाखिल करने सहित अब तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है। जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया है। इस पीठ में न्याय पीएसी नरसिम्हा भी शामिल थे।
किन राज्यों ने नोटिस जारी किए
सर्वोच्च न्यायालय ने ‘धर्म लिप्यंतरण विरोधी’ क़ानून को चुनौती देते हुए याचिकाओं पर पांच राज्यों छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा और झारखंड को नोटिस जारी किया है। इससे पहले चार अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश को नोटिस जारी किया गया था। इससे पहले याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से दलील दी गई थी कि राज्य जो कानून बनाए रखते हैं, उसके कारण स्थिति बहुत गंभीर हो गई है। जमीयत उलेमा एक हिंद की तरफ से भी अर्जी ने पैर हटा कर हाई कोर्ट में लंबित सुप्रीम कोर्ट के लंबित मामले में घुमाने की कोशिश की थी।
अलग-अलग 6 उच्च न्यायालय में याचिका दायर की
खिलाफ ‘धर्म विरोधी’ कानून का मामला मूल रूप से दिसंबर 2019 से दायर किया गया था। तब से दो राज्य अधिनियम भी पेश किए गए हैं और पांच और राज्य ऐसे मानक हैं। सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट नवंबर 2022 में इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। हालांकि, सुनना नहीं हो सकता था। इस मामले में देश भर के अलग-अलग 6 हाई कोर्ट में कुल 21 अर्जी लंबित है। इन सभी अर्ज देशों में राज्यों के धर्मों के विपरीत कानून को चुनौती दी गई है।
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