अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक साक्षात्कार में कहा कि चीन रूस को हथियार और गोला-बारूद देने पर विचार कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो आगे चलकर यूक्रेन में स्थिति और बदतर हो जाएंगे। एंटनी ब्लिंकन ने आगे कहा कि चीन रूस की कार्रवाई की ना तो आलोचना करता है ना ही वो रूस पर यूक्रेन के कदमों को गलत चुना है। उन्होंने बीजिंग को चेताया कि चीन की तरफ से कोई भी सुझाव नहीं दिया "गंभीर समस्याएँ पैदा हो रही हैं।"
कुल मिलाकर अमेरिका की टिप्पणी रूस-यूक्रेन जंग में चीन के लिए अभी तक की सबसे स्पष्ट चेतावनी के रूप में दिखाई दे रही है। इससे यह भी संकेत मिल रहा है कि यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने पर चीन रूस को राजनीतिक या राजनयिक समर्थन से आगे बढ़कर यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में मदद करने के लिए तैयार हो सकता है।
दूसरी तरफ चीन रूस की तरफ किसी भी सैन्य उपकरण की मांग को देखने को तैयार है। वहीं चीन ने भी कहा कि रूस अमेरिका ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए मजबूर किया। रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी 2022 को हमला किया था। कुछ हफ्ते पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शीतकालीन ओलम्पिक के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर वोट से मिलने की थी। तब दोनों की मुलाकात पर पश्चिमी देशों के बीच विवाद पैदा हो गया था। उस समय भी चीन ने पश्चिमी देशों की आलोचनाओं को अनदेखे कर दिया था।
ब्लिंकन ने रविवार को NBC से कहा कि चीन रूस और पश्चिमी देशों को अपने तरीके से लुटाने की कोशिश करता है, ये तब भी ठीक था, लेकिन अगर चीन ने रूस को किसी भी तरह की कोई सैन्य मदद पहुंचाई तो ये रूस को जंग के लिए बढ़ावा देना माना जाएगा और इसके परिणाम सबसे खतरनाक होंगे।
ब्लिंकन क्यों दावा कर रहा है?
अब तक रूस के लिए चीन का समर्थन और बयानबाजी अमेरिका को खटकता है। ब्लिंकन ने इसका जिक्र म्यूनिख, जर्मनी में एक सुरक्षा सम्मेलन में भी किया था। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से इस बात को लेकर चिंतित है कि चीन रूस को हथियार प्रदान करेगा और " घातक मदद गोला – डायनामाइट जैसी दौड़ से भगाएं यूक्रेन के खिलाफ चीन का एक बड़ा कदम माना जाएगा।
बताएं कि ब्लिंकन का ये बयान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे वरिष्ठ विदेश नीति अधिकारी वांग यी से बातचीत करें के बाद आया है। ब्लिंकन ने कहा कि "मैंने वांग यी के साथ यूक्रेन मामले पर स्पष्ट बातचीत की और ये कहा कि चीन की तरफ से रूस को कोई भी मदद करेगा जाने पर सिर्फ समस्या पैदा होगी।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस- ग्रीनफील्ड ने भी इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। लिंडा ने कहा कि रूस को हथियार देने के चीन के किसी भी प्रयास को खतरे के निशान को और गहरा करेगा। जिसका हर्जाना चुकाना होगा. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद रूसी और चीनी सेना ने संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया है।
चीन ने इस मामले पर क्या कहा है?
वांग और ब्लिंकन के बीच बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया था। कंजेशन में ये कहा गया था कि चीन ने हमेशा यूक्रेन के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चीन का मकसद सिर्फ शांति को बनाए रखना है और सिद्धांतों का पालन करते हुए बातचीत को आगे बढ़ा रहा है।
बीजिंग का कहना है कि उसने रूस के साथ एक सामान्य व्यापार संबंध जारी रखा है, जिसमें तेल और गैस की अहम खरीद है। ये ठीक वैसा ही है जैसे भारत दूसरे देशों के साथ चीजों की खरीद-फरोख्त करता है। ये एक बिजनेस से ज्यादा और कुछ नहीं है। दूसरी तरफ चीन की तरफ से रूस को हथियार देने का कोई भी दस्तावेज अबतक सामने नहीं आया है।
अगर चीन रूस की मदद करता है तो क्या हो सकता है?
ब्लिंकन ने NBC को बताया, "जानकारी के मुताबिक, चीन ने अभी तक उस लाइन को पार नहीं किया है। ब्लिंकन ने यह भी नहीं बताया कि चीन के जवाब में अमेरिका क्या तैयारियां कर रहा है, लेकिन ये इशारा दिया कि चीन के रूस के लिए सैन्य समर्थन संबंध को पूरी तरह से अलग करेगा। और इसके परिणाम अब तक सबसे खराब होंगे। अमेरिका का कहना है कि ताइवान चीन का सबसे कमजोर नंबर है। और रूस के समर्थन के बाद हम अपना ताइवान को देने वाला समर्थन और वर्तमान देंगे। अमेरिका ताइवान को सपोर्ट करता है और चीन के लिए अमेरिका ताइवान को सपोर्ट करता है। ताइवान अमेरिकी विनिर्देशन की बड़ी खरीदारी भी है। ये बात भी चीन को परेशान करती है।
यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की मदद को लेकर अमेरिका ने कई चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगाई और कई चीनी फर्मों रोकने की बात कह रही है। अमेरिका का कहना है कि ये चीनी फर्म चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से संचालित हैं और वो मीडिया से लेकर विपक्षी दलों की आवाज को सर्वे का काम करती हैं।
अमेरीका ने चीन के खिलाफ पहले ही व्यापार युद्ध किया धोखा दिया है। अगर चीन रूस को यूक्रेन के मामले में मदद करता है तो ये व्यापार युद्ध और बढ़ेगा।
एशिया प्रशांत क्षेत्र की मुख्य अर्थशास्त्री एलिसिया गार्सिया-हेरेरो ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि चीन रूस को 90 अरब डॉलर की मदद कर सकता है। हो रहा है। इसके बाद पश्चिमी देशों के सेट्स ने रूस को लगभग 315 बिलियन डॉलर दिए। ऐसे में चीन की देरी की मदद की वजह से रूस पर कई बड़े बैंक नई रोक लगाने को मजबूर हो जाएंगे।
भारत पर रूस के लिए चीन की मदद का क्या असर होगा
रूस यूं तो भारत का पारंपरिक दोस्त रहा है, लेकिन रूस जिस तरह चीन से नजदीकी बढ़ा रहा है, उसका असर भारत पर भी है। चीन और भारत के बीच 1962 से सीमा विवाद चल रहा है। भारत और अमेरिका में करीबी की वजह से भी रूस और भारत के बीच दूरियां दी जाती हैं।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्ट्रिट्यूट के मुताबिक 2008-2012 तक भारत के कुल हथियार आयात का 79 प्रतिशत रूस से हुआ था जो पिछले पांच साल में कंपोनेंट 62 फीसदी हो गया है।
यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले चीन और रूस ने मिलकर एक बयान दिया था। इस बयान में कहा गया था कि रूस और चीन की मित्रता की कोई सीमा नहीं है। साफ है कि रूस और चीन के बीच दोस्ती और सहयोग बड़े स्तर पर है। यूक्रेन के हमले के बाद रूस और चीन और करीब आ गए हैं। चीन का सहयोग रूस से और बढ़ा है और ये भारत के लिए बुरी खबर है।
चीन रूस की मदद करता है तो दो झटके में बट जाएगी दुनिया
अमेरिका की प्रभुत्व नीतियों से पहले ही सभी एशियाई देश नाखुश हैं। रूस यूक्रेन युद्ध के बाद चीन और रूस के बीच व्यापार बढ़ा है। चीन ने एक तरफ ये भी कहा है कि वो यूक्रेन के प्रभुसत्ता का सम्मान करता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ नाटो देशों के रूस की सीमा पर आगमन से चीन नाखुश है। ऐसे में अगर चीन रूस को हथियार देता है तो देश दो टुकड़े हो जाएंगे। नाटो और अमेरिका एक तरफ हो जाएंगे और ये लड़ाई नाटो, अमेरिका बनाम चीन-रूस की होगी। इसका शिकार दुनिया के सबी देश होंगे।
अमेरिका और भारत के रिश्ते में उत्त-चढाव रहते हैं। वहीं रूस और भारत के संबध बहुत पुराने हैं। भारत का 85 प्रतिशत मिलिट्री फोर्स रूस से आता है। वहीं चीन और भारत के बीच पुरानी सीमा विवाद हैं। ऐसे में चीन और रूस करीब आते हैं तो भारत पर भी कहीं न कहीं कोई अलग असर नहीं है।
चीन रूस की मदद करेगा तो पूरे विश्व में युद्ध करेगा
इस सब के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने भी चीन को चेतावनी दी है। व्लादिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि अगर चीन रूस साथ देता है तो विश्वयुद्ध हो जाएगा।
जेलेंस्की ने एक जर्मन अखबार से बातचीत के दौरान कहा कि, ‘हमारे लिए यह जरूरी है कि चीन इस युद्ध में रूस का साथ दे न दे, हम तो ये चाहते हैं कि चीन हमारे साथ रहे, लेकिन ये मुमकिन नहीं लग रहा है। उन्होंने आगे कहा, ‘अभी यह युद्ध सिर्फ दो देशों में हो रहा है लेकिन अगर चीन रूस का साथ देता है तो विश्व युद्ध होगा। मुझे लगता है कि चीन भी इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ है।
रूस और चीन की बढ़ोतरी करीब से हो रही है
पिछले दिनों ये भी खबर आई थी कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादिमीर मॉस्को में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की विदेश नीति के प्रमुख से मिल सकते हैं। मुलाकात की खबर ऐसे समय में आई जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से पूर्व सूचना दी ब्रो मीट की । मिलने के बाद ब्लिंकन ने ट्वीट किया यूक्रेन में रूस को सहायता देने के लिए चीन को चेतावनी दी।