राजस्थान बाड़मेर रिफाइनरी: राजस्थान (राजस्थान) के बाड़मेर (बाड़मेर) जिले के पचपड़रा में सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी हिंदुस्तान आवासीय परियोजनाओं लिमिटेड (एचपीसीएल) के रिफाइनरी प्लांट तैयार करने पर काम तेजी से जारी है। केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (नरेंद्र मोदी) के हाथों रिफाइनरी परियोजना के उद्घाटन का लक्ष्य रखा है। लेकिन पुराने ऋण घाटे (ओपीएस) के बाद इस परियोजना को लेकर अब केंद्र और राजस्थान की कांग्रेस सरकार के बीच जबरदस्ती अतिरिक्तता शुरू हो गई है। रिफाइनरी को लेकर जिस परियोजना पर विचार किया गया था उसमें करीब 70 फीसदी का जुर्माना लगाया गया है।
क्या है बाडमेर रिफाइनरी का इतिहास
राजस्थान के बाडमेर में जब चार्ट तेल का उत्पादन शुरू हुआ तभी ये फैसला लिया गया कि यहां एक रिफाइनरी प्लांट लगाया जाएगा। इस रिफाइनरी का एसी एचटीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड (एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड) के पास है जो हिंदुस्तान प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड और राजस्थान सरकार का ज्वाइंट वेंचर है। प्रोजेक्ट में 74 प्रतिशत एचपीसीएल की है जो 26 प्रतिशत की तस्वीर राजस्थान सरकार की है। पहली बार इस रिफाइनरी की आधारशिला 22 सितंबर 2013 को तात्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी (सोनिया गांधी) ने रखी थी। हालांकि इसके बाद राज्य और केंद्र में कांग्रेस सरकार की सत्ता से जाने के बाद परियोजना अधर में लटक गई। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 जनवरी 2018 को उद्घाटन के बाद प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। जब 9 मिलियन टन रिफाइनिंग क्षमता और 2 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता वाले पेट्रो केमिकल कॉम्प्लेक्स पर काम शुरू हुआ तब 43,000 करोड़ रुपये की परियोजना की लागत तय की गई थी।
68 प्रतिशत बढ़ी हुई परियोजना लागत
लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिस रिफाइनरी प्रोजेक्ट की लागत 43,129 करोड़ रुपये 2018 में आवंटित की गई थी वह पांच साल में 29,129 करोड़ रुपये या 68 प्रतिशत बढ़कर 72,000 करोड़ रुपये हो गई है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी (हरदीप पुरी) का कहना है कि लागत बढ़ने के कारण परियोजना की लागत में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरे में प्रोजेक्ट पर काम रुक गया तो 2017 से लेकर 2022 के बीच स्टील की लुकाछिपी में 45 फीसदी का उछाल आया, जिसकी वजह से लागत में कारण आई है। केंद्र सरकार राज्य सरकार पर लागत में देनदारी का ठीकरा फोड़ रही है तो राज्य सरकार केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है।
केंद्र और राज्य में तनातनी
बाड़मेर रिफाइरी की लागत कारण हो गई है, इसलिए केंद्र सरकार इसके चक्कर लगाने के लिए राजस्थान सरकार से 2500 करोड़ रुपये की मांग कर रही है। विदेश मंत्री का कहना है कि उनके पास दो विकल्प हैं। या तो राज्य सरकार 2500 रुपये का भुगतान कर परियोजना में अपने 26 प्रतिशत अंशों पर कायम है। या फिर एचपीसीएल 2500 करोड़ रुपये का भुगतान कर अपना 84 प्रतिशत बढ़ा देता है। परियोजना के लिए 66 दस्तावेजों की पहचान के नेतृत्व वाले कंजर्शियल से दर्शनीय का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अभी की रिफाइनरी का 50 फीसदी से ज्यादा काम पूरा हो गया है। सरकार का कहना है कि रिफाइरी का काम पूरा होने पर भारत के इंपोर्ट बिल में 26,000 करोड़ रुपए की कमी आएगी। वहीं इस प्रोजेक्ट के तैयार होने पर राजस्थान को जबरदस्त फायदा होगा। वहां प्रत्यक्ष और असंबंधित रूप से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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