- शुमाइला जाफरी
- बीबीसी न्यूज़, फ्री
पाकिस्तान के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि ने बुधवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में देश के आर्थिक मामलों के उप प्रधान मंत्री मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर अख़ुंद से मुलाक़ात की।
ये मुलाक़ात ऐसे हुए जब अफ़ग़ानिस्तान में ताले की व्यवस्था सरकार के साथ लगी अहम सीमा पार करने में से एक को बंद करने की ख़बरें सामने आई थीं। लॉक डाउन प्रशासन ने ये फ़ैसला एकतरफ़ा अंदाज़ में लिया था।
पाकिस्तान के उच्च स्तरीय प्रतिनिधि के प्रतिनिधि देश के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफिंग कर रहे थे। इस प्रतिनिधि मंडल में पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के डायरेक्टर जनरल रिवरम अंजुम भी शामिल थे।
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल की मुलाक़ात के पहले कहा था कि सीमाओं के मुद्दों को बातचीत से सुलझा लिया जाएगा। वहीं, पाकिस्तान ने उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल के काबुल में होने की जानकारी दी थी लेकिन सीमा पार होने को लेकर कुछ नहीं कहा था।
पाकिस्तान के उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल से मुलाक़ात को लेकर लोकतांत्रिक सरकार में आर्थिक मामलों के उप प्रधान मंत्री मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर अखुंद के दफ़्तर की ओर से रेडियो पर जानकारी दी गई।
ट्वीट में बताया गया है, “दोनों पक्षों में आर्थिक सहयोग, क्षेत्रीय संबंध, व्यापार और आधार पर चर्चा हुई।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी बुधवार शाम प्रतिनिधि मंडल की यात्रा पर बयान जारी किया।
कंजेस में कहा गया, “बैठक में क्षेत्र में तहरीके पाकिस्तान पाकिस्तान और इस्लामिक स्टेट इन खुरासान जैसे अंग से आतंकवाद के ख़तरे के बारे में बात हुई। दोनों तरफ आतंकवाद के ख़तरे से निपटने के लिए एक दूसरे का सहयोग पर सहमति बनी। “
बयानों में आगे कहा गया है, “दोनों देशों के बीच द्विपक्षी सहयोग और समझौते पर सहमति बनी हुई है।”
मुल्ला अखुंद ने ट्विटर पर जानकारी के अनुसार बैठक के दौरान कहा, “पाकिस्तान और अफगानिस्तान के पड़ोसी हैं और उनके अच्छे संबंध होने चाहिए। अफगानिस्तान पाकिस्तान के साथ वाणिज्यिक और आर्थिक संबंध पर जोर देता है क्योंकि दोनों देशों के हित में है। सियासी और सुरक्षा संबंधी मुद्दों से हमारे भौतिक या आर्थिक संबंध प्रभावित नहीं हो सकते।
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की जेलों में बंद अफगान कैदियों को रिहा करने की भी बात की है।
एक झिझकते हुए मुद्दों का भी ज़िक्र किया गया।
अपने ट्वीट में उप-प्रधानमंत्री के कार्यालय ने लिखा, “तोरज़म और स्पिन बोल्डक की क्रॉसिंग में यात्रियों को अच्छी सुविधाएं दी जानी चाहिए। बीमार लोगों का अधिक म्याल रखना चाहिए। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को इन विषयों पर भरोसा दिया और कहा कि संबंधित विभाग इस पर जल्द ही काम करेगा।”
सीमा पर क्या स्थिति है?
लॉकडाउन प्रशासन की ओर से टोर्ज़म बॉर्डर क्रॉसिंग को बंद किए जाने का कारण स्पष्ट नहीं था, लेकिन अफ़ग़ान तालेबान प्रशासन ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की ओर बाउंड्री क्रॉसिंग अधिकारी अपने नागरिकों के साथ बुरी तरह पेश आ रहे थे। पाकिस्तान के अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया है, लेकिन उनकी ओर से इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच करीब 2600 किलोमीटर की सीमा आपस में जुड़ी हुई है। ख़ैबर दर्रे के पास तोरखाम कारोबार और अणु का मुख्य मार्ग है और यहां लगातार हलचल जारी रहती है।
अब यहां सैंकड़ों कॉन्ट्रैक्ट कॉन्ट्रेक्ट से रुकें हैं। इनमें से अधिकतर फल और पुरानी जैसी चीजें महिलाएं हैं जो जल्दी खराब हो सकती हैं। सीमा के दोनों ओर यात्री भी बंधे हुए हैं। बड़े नुक़सान की आशंका में वर्कर्स परेशान हैं और अपने अकाउंट से मांग रहे हैं कि वो मामले को दोस्ताना तरीके से जल्दी सुलझा लें।
ऐसा माना जा रहा है कि दोनों देशों के अधिकारियों की मुलाक़ात के बाद स्थिति में सुधार हो सकता है।
सीमा पर तनातनी
अफ़ग़ानिस्तान एक लैंडलॉक्ड कंट्री है यानी उसकी करीब कोई समुद्री सीमा नहीं है। ऐसे में यहां से होने वाली नौकरीपेशा गतिविधियों के लिए पाकिस्तान एक अहम देश है।
घुटपुट व्यवधान के बाद भी तोरखाम-जनालाबाद छत पर सालों भर लगा रहता है। अफगानिस्तान के सभी संसाधन ज़ब्त हैं। उस पर विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भी लगे हैं। ऐसे में वो कारोबार के लिए इस रास्ते पर बहुत हद तक कायम है। इसके बंद होने से पहले खस्ताहाल अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था को और अधिक चोट पहुँच रही है।
अफगानिस्तान में तालेबंदी के काबिज होने के बाद पाकिस्तान ने कई तरह के करों और कब्जे में कब्जा कर लिया ताकि दोतरफा कारोबार में जा सके।
सीमा की क्रॉसिंग बंद होने के पहले सीमा पर सुरक्षा बलों के बीच शूटिंग हुई थी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कुछ घंटे तक भारी शूटिंग की आवाज सुनी थी।
स्थानीय लोगों के अनुसार उन्हें आशंका थी कि स्थिति और खराब होगी लेकिन मामला ठंडा पड़ गया। इस झड़प में पाकिस्तान का एक सैनिक घायल हो गया, जबकि घेराबंदी के एक गार्ड की मौत हो गई। हालांकि, अब वहां युद्ध विराम की स्थिति है लेकिन सीमाएं अब भी बंद हैं।
क्यों बंधी सीमा?
अफगानिस्तान प्रशासन का आरोप है कि पाकिस्तान की सीमाओं के अधिकारी अफगानिस्तान के यात्रियों के साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं।
तालेबान प्रशासन के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने मीडिया को एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि यात्रियों के दस्तावेज फेंक दिए गए। पाकिस्तान में इलाज के लिए जा रहे मरीजों के साथ भी सुरक्षा बल सख्ती से पेश आए। इन पीड़ितों में महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे।
उन्होंने ये भी कहा कि अफगानिस्तान के अधिकारी इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ बातचीत कर रहे हैं और बातचीत के जरिए ये मामला सुलझा लिया जाएगा।
अफगानिस्तान के नांगहार प्रांत के सूचना विभाग के प्रमुख सिद्दीकुल्लाह क़ुरैशी ने कहा कि बीमार यात्रियों को ले जाने की संभावना को लेकर पाकिस्तान ने उन लोगों को पूरा नहीं किया। प्रोफाइल तनाव की यही वजह है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने इन जेमियों को खारिज कर दिया है, लेकिन उनके विदेश मंत्रालय और सेना के प्रवक्ता ने अब तक अफगानिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
बीबीसी ने भी इस मामले में संपर्क का प्रयास किया लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
हालांकि, नाम न जाहिर करने का अनुरोध करने पर एक सरकारी अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि ये विवाद उस समय हुआ जब जमीन पर मौजूद अधिकारियों ने एक महिला के साथ मौजूद पुरुष अटेंड (देखंतभाल करने वाले सहयोगी) को बिना वैध दस्तावेज के पाकिस्तान में दर्ज किया पैर जाने से रोका जा सकता है।
बुधवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्विटर पर ये जानकारी दी कि पाकिस्तान का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि अफगानिस्तान में है जो वहां के अधिकारियों से बातचीत करेगा। लेकिन इस बयान में सीमाओं के मुकदमों का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया गया।
अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान की सीमा-व्यवस्था पहले से ही काफी मुश्किल हो रही है।
पाकिस्तान में अब भी हजारों की संख्या में अफगान शरणार्थी हैं। इनमें से कुछ का रजिस्ट्रेशन भी नहीं हुआ है।
लेकिन साल के दौरान सुरक्षा की स्थिति खराब होती है और पाकिस्तान की सुरक्षा पर हमले होते हैं। इसके बाद से सीमा पर अधिकारियों ने संपर्क बढ़ा दिया है। इसने अफगानिस्तान के रौंद प्रशासन को नाराज कर दिया है। वो पाकिस्तान की ओर से इस तरह की सख्ती के आदी नहीं है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आन्दोलन के संबंध
अफगानिस्तान के ताले ने साल 2021 में काबुल पर कब्जा कर लिया। उसके बाद से पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते खराब हो गए हैं।
टकराव की मुख्य वजह तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान टाई टीटीपी है। प्रतिबंधित संगठन टीटीपी को पिछले दो दशक के दौरान पाकिस्तान के हज़ारों नागरिकों और सुरक्षा अधिकारियों की जान-पहचान का दायित्व बताया जाता है।
पिछले वर्षों के दौरान उत्तर पश्चिमी जनजातीय क्षेत्र में कई सैन्य अभियान चलाए गए और पाकिस्तान के अधिकारियों ने दावा किया कि इस क्षेत्र को ‘आतंकवादी गतिविधियों’ से मुक्त कर दिया गया है। टीटीपी के कई कमांडरों, लड़ने वालों और संबंधों को तोड़ दिया गया या फिर गिरा दिया गया। टीटीपी नेतृत्व के बिना लोग अफगानिस्तान जाने पर मजबूर हो गए।
हालांकि, सुरक्षा मामलों के जानकारों का मानना है कि जब आलिंद ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया तब से टीटीपी को नई जान और प्रेरणा मिली। पाकिस्तान का दावा है कि टीटीपी सीमा पार से हमलों की साजिश रच रहा है और उसे अंजाम दे रहा है। पाकिस्तान के ठिकाने को चोट पहुंचाने के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अफ़ग़ानिस्तान के आलिंद प्रशासन इन जेमिज़ को अधिकृत कर रहा है। पिछले वर्षों में उन्होंने पाकिस्तान के अधिकारियों और टीटीपी के बीच बातचीत की। इसके बाद अस्थाई संघर्ष विराम लागू हुआ। लेकिन जनसमर्थन की कमी की वजह से ये संभव नहीं हो सका। नवंबर 2022 में टीटीपी ने युद्ध विराम से बाहर निकलने का एलान कर दिया और तब से वो सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं।
पिछले महीने पेशावर के एक मस्जिद में हुए बदलावों में सौ से अधिक लोगों की मौत हुई। मरने वालों में से अधिकतर अधिशेष थे। टीटीपी ने इस व्यवहार की जिम्मेदारी ली थी।
सीमा पर संघर्ष
पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर संघर्ष की बात नई नहीं है। अफगानिस्तान के कर्ज़ी और ग़नी के हिन्दोस्तान के दौरान भी ऐसे संघर्ष होते रहे। लॉक डाउन प्रशासन के काबिज होने के बाद भी ये चिल जारी है। आगे बढ़ते हमलों के बीच पाकिस्तान अफगानिस्तान के आलिंद प्रशासन पर दबाव बना रहा है कि वो टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करें।
सुरक्षा मामलों से जुड़े जानकार मानते हैं कि अफगानिस्तान की व्यवस्था के लिए टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल है। टीटीपी विचारधारा के स्तर पर उनके समान हैं और अमेरिका के स्टीरियोटाइप एलायंस सेना के खिलाफ संघर्ष में उनके समर्थक उनका समर्थन कर रहे थे। कई लड़ाकों के एक दूसरे से पारिवारिक संबंध भी हैं।
पाकिस्तान का समर्थन जरूरी है
दूसरे तरफ़, आन्दोलन प्रशासन के बने रहने के लिए पाकिस्तान का समर्थन भी ज़रूरी है। दुनिया ने अब तक इसे वैध सरकार की आधिकारिक मान्यता नहीं दी है और वो मान्यता हासिल करने के लिए संघर्ष में जुटा है। ऐसे में अफ़ग़ान आतंकवादी दोहरी स्थिति में हैं।
पिछले सप्ताह म्यूनिख सिक्यूरिटी कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने अफगानिस्तान आवदेन के साथ बातचीत की और उन्हें अधिक समर्थन देने की शिकायत की थी। उन्होंने इस बात पर भी ध्यान देने की कोशिश की थी कि अफगानिस्तान में फाड़ा आतंकवाद का खतरा किस तरह से दुनिया को प्रभावित कर सकता है। वो आईएस, अलकायदा और टीटीपी के ख़तरे की ओर इशारा कर रहे थे।
अफगानिस्तान प्रशासन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पाकिस्तान के विदेश मंत्री की टिप्पणी का स्वागत किया। साथ ही ये भी कहा कि पाकिस्तान को दो पक्षीय मामलों को “अफगानिस्तान सरकार के सामने उठाने से न तो इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शिकायत करनी चाहिए।”
बयानों में ये भी कहा गया है कि आन्दोलन प्रशासन अपनी ज़मीन को दूसरे देशों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने की इज़ाज़त नहीं देगा.
बयानों में कहा गया है, “पाकिस्तान की स्थिति असुरक्षा की नई नहीं है, लेकिन यह स्थिति पिछले दो दशक से बनी हुई है। आईईए इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है कि अफगानिस्तान की जमीन को दूसरे देश चाहकर अपने पड़ोसियों के खिलाफ किसी को इस्तेमाल नहीं करेंगे। “
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