तालिबान की अमेरिका से मांग: अफगानिस्तान में आलंदी (तालिबान) सरकार के अधिकारियों ने बुधवार (22 फरवरी) को अमेरिका से 3.5 बिलियन डॉलर चुकाने के लिए कहा। ये रकम अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक से जुड़ी है, इसे यूएस ने ज़ब्त कर लिया था। आरोपित है कि हाल ही में न्यूयॉर्क के संघीय न्यायाधीश ने 9/11 के हमलों के आरोपों के लिए अफ़ग़ान बैंकों से धन ज़ब्त न करने का फैसला सुनाया था।
अफगानिस्तान (अफगानिस्तान) में साल 2021 में स्वराज्य वापस लौटा था। इसके तुरंत बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक से जुड़ी राशि पर अपना कंट्रोल लिया। इसके लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि 9/11 के हमलों में मारे गए लोगों के परिवार को पैसा दिया जाएगा। अमेरिका के एक समूह ने सालों पहले 9/11 के दौरान नुकसान के लिए मुकदमा दायर किया था और जीत गए थे।
ज़ब्त करने का अधिकार नहीं
अमेरिका के न्यूयॉर्क के दक्षिण डिस्ट्रिक्ट जज जॉर्ज डेनियल ने मंगलवार (21 फरवरी) को कहा कि फेडरल कोर्ट के पास अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक से धन को ज़ब्त करने का अधिकार नहीं है। डेनियल्स ने 30 पेज की राय में कहा कि लेनदारों को हुए नुकसान के लिए धोखा देने का पूरा अधिकार है, लेकिन वे अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक के धन से ऐसा नहीं कर सकते हैं।
आन्दोलन सरकार की मान्यता नहीं दी गई
तालिबान सरकार अफगानिस्तान के पूर्व इस्लामिक गणराज्य या अफगानिस्तान के लोगों की नहीं है। जज डेनियल्स ने अपने फैसले में ये भी कहा कि अमेरिका के 9/11 हमले के पीड़ितों ने पूरे अफ़ग़ानिस्तान के सेंट्रल बैंक की रकम दी है इसलिए रोके जाने का मतलब ये होगा कि हम मौजूदा ज़ब्त में काबिज हैं क्योंकि सत्ताधारी सरकार को वैध सरकार की मान्यता दे रहे हैं। वास्तव में अभी तक अमेरिका सहित किसी भी देश ने सभी सरकारों की मान्यता नहीं दी है।
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