- इकबाल अहमद
- बीबीसी संवाददाता
यूक्रेन पर रूस के हमले का पूरा एक साल हो गया है। रूस ने 24 रोड़ 2022 को यूक्रेन पर हमला किया था।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस का यह सबसे बड़ा युद्ध है। हालांकि रूस यह युद्ध नहीं बल्कि ‘स्पेशल मिलिटरी ऑपरेशन’ कहता है।
दोनों तरफ से हजारों लोग मारे जा चुके हैं। एक करोड़ 80 लाख से अधिक लोग यूक्रेन छोड़ कर चले गए हैं।
यूरोप में ऊर्जा संकट और अफ्रीका में खाने पीने का सामान आसमान छू रहा है।
पिछले एक साल के दौरान युद्ध में कई लोगों ने क्वैक्शन देखने को मिले। इसके अलावा लोग यह भी जानना चाहते हैं कि इस एक साल का लेख जोखा क्या रहा और आने वाले दिनों में क्या हो सकता है।
यहां इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की जाएगी।
लेकिन सबसे पहले जानते हैं कि पिछले एक साल में कब-कब निर्णायक मोड़ आया।
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राडारी, 2022: रूसी सेना ने यूक्रेन पर हमला किया और उसके सैनिक यूक्रेन की राजधानी कीव के बाहरी इलाकों तक पहुंच गए।
मार्च, 2022: रूसी सेना ने खेरसॉन पर कब्ज़ा कर लिया और महीनों तक मारियुपोल में घेराबंदी शुरू कर दी।
अप्रैल, 2022: कीव से रूसी सेना पीछे हटने को मजबूर हुई और बूचा शहर में युद्ध अपराधियों के कई मामले सामने आए। यूक्रेन ने मोस्कवा नामक ब्लैक सी बेड़ा जाड़ दिया जो कि रूस के लिए पहला बड़ा सैन्य झटका था।
मई, 2022: अजोवस्तल स्टील फैक्ट्री के अंदर से लड़ते हुए जापानी सैनिकों ने रूसी सेना के आगे सरेंडर कर दिया। तीन महीने के भीषण युद्ध के बाद मारियुपोल का पतन हुआ और रूस ने यूक्रेन के लाइमन शहर पर भी क़ब्ज़ा कर लिया।
जून, 2022: पश्चिमी देशों के हथियार और अधिक मात्रा में यूक्रेन हैदराबाद लगे। यूरोपीय संघ ने औपचारिक रूप से यूक्रेन और मोलडोवा के सदस्यों का दावा किया। रूस ने सेवेरोडोनेत्सक शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया।
जुलाई, 2022: रूस ने ओलेनिवाका शहर पर मिसाइल हमला किया। मारियुपोल में पकड़े गए यूक्रेन के सैनिकों को यहां रखा गया था। इस हमले में 53 लोगों की मौत हो गई थी। तुर्की और यूएन ने मिलकर यूक्रेन से अनाज के संबंध में सुनिश्चित विवरण दिया है। रूस ने उन पर हमला नहीं किया।
अगस्त, 2022: रूसी एयर बेस क्राइमिया में विस्फोट हुआ। रूस के लिए यह बड़ा झटका था। परमाणु विद्युत एजेंसी (आईएईए) के यूक्रेन के शहर ज़ापोरिज्जिया स्थित परमाणु ऊर्जा अंतरराष्ट्रीय संयंत्र का निर्बंधन। उन्होंने ज़ोन का सुझाव दिया लेकिन अभी तक कोई फ़ैसला नहीं हुआ।
सितंबर, 2022: मैटलाइट ने तीन लाख रिजर्व सेना को लामबंद करने का आदेश दिया। इसके अलावा यूक्रेन के चार स्थानों (डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसोन, ज़ापोरिज्जिया) को रूस में विलय करने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस ने क़रीब 6000 वर्ग किलोमीटर इलाक़े को रूसी सेना से वापस लेने का दावा किया। सितंबर में ही उन्होंने कहा था कि अपनी सीमा की रक्षा के लिए वो सभी संभावित उपायों का इस्तेमाल करेंगे। कुछ लोग इसे परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी कह रहे थे।
अक्टूबर, 2022: यूक्रेन ने क्राइमिया के पुल को उड़ा दिया जो कि क्राइमिया को रूस से क्वैड है। रूस ने पहली बार ईरान निर्मित ड्रोन से हमला किया।
नवंबर, 2022: रूस ने खेरसॉन से पीछे हटने की घोषणा की, नेटो ने एक बार फिर यूक्रेन को रहने में मदद करने की कोशिश की।
दिसंबर, 2022: युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार ज़ेलेन्स ने यूक्रेन से बाहर निकले और अमेरिका का दौरा किया।
जनवरी, 2023: रूस ने यूक्रेन के निप्रो शहर में जारीशी बिल्डिंग पर मिसाइल दागा जिसमें 45 आम नागरिक मारे गए।
राडेरस, 2023: अमेरिकी राष्ट्रपिता जो बाइडन अचानक यूक्रेन और यूक्रेन को यकीन में रहने में मदद करते हैं।
एक साल में क्या हासिल हुआ
किंग्स कॉलेज लंदन में इंटरनेशनल रिलेशन के टीचर और फिल्हाल रॉफ के सीनियर फेलो प्रोफेसर हर्ष पंत कहते हैं कि एक साल के बाद कुछ खास चीजें बिल्कुल साफ दिखाई दे रही हैं।
-यूक्रेन कुछ हफ़्तों तो लड़ेगा लेकिन फिर रूस के आगे आत्मसमर्पण कर देगा लेकिन इस युद्ध ने रूस की सैनिक क्षमता की कली खोल दी है।
-रूस के सैनिक सामर्थ्य पर सवाल उठते हैं और उनकी साख बची या नहीं, ऐसे आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी।
-युद्द के कारण वैश्विक ध्रुवीकरण हुआ है जिसमें पश्चिमी देश एक तरफ लामबंद हैं और दूसरी तरफ रूस और चीन के बीच संबंध कमजोर हो रहे हैं।
-ग़रीब देशों पर खाना और तेल संकट बढ़ गया है।
भारत के पूर्व राजनयिक अनिल त्रिगुणायत कहते हैं-
– यह न केवल रूस और यूक्रेन बल्कि पूरी दुनिया और विशिष्ट विकसित देशों के लिए विनाशकारी युद्ध कर रहा है।
-इसने दूसरे शीत युद्ध की शुरुआत कर दी है जिसमें पश्चिमी देश भी बराबर के हिसाब से जिम्मेदार हैं।
-भारत सहित दुनिया भर के क़रीब दो-तिहाई देश किसी एक ख़ासे में रहे बग़ैर भी अपना काम चला सकते हैं।
-वित्तीय दृष्टिकोण, ऊर्जा और खाद्य पदार्थों को हथियार की तरह इस्तेमाल करने के कारण दुनिया वैकल्पिक रूप और व्यवस्था की तलाश में है।
-कई देश में अपनी राष्ट्रीय मुद्रा में व्यापार करने पर विचार कर रहे हैं। दुनिया की सुपर पावर का ख़ौफ़ अब कम हो गया है।
आगे क्या होगा
हर्ष पंत कहते हैं कि फिल्हाल इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि युद्ध रुक जाएं क्योंकि कोई भी पक्ष इस समय किसी निर्णायक स्थिति में नहीं है। रूस पीछे हटने को तैयार नहीं दिखता और यूक्रेन घुटना टेकने के लिए तैयार नहीं है।
राजदूत त्रिगुणायत कहते हैं, “मुझे लगता है कि यह युद्ध रूस और यूक्रेन के बीच नहीं बल्कि रूस और पश्चिम और दुनिया के दो अंतरराष्ट्रीय क्रम के बीच दिखता है।”
वो आगे कहते हैं, “अगर दुनिया के सुपर नहीं चाहते कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो तो उन्हें बातचीत शुरू का रास्ता तलाशना होगा। शक्तिशाली देशों की दीक्कत यह रही है कि वो भी उन कानूनों का पालन नहीं करते हैं जो वो नहीं मारते हैं हैं।”
उनका भविष्य बहुत ही निराशाजनक है लेकिन फिर भी कुछ उम्मीद बनी हुई है।
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