पाकिस्तान आर्थिक संकट: पाकिस्तान आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। देश को पल-पल पैसे की जरूरत है। इस दौरान वो लगातार इंटरनेशल मॉनिटरी फंड (IMF) से पैसे की मदद मांग रहा है। पाकिस्तान ने अपने अधिकारियों के साथ आईएमएफ के चक्कों पर भी विचार-विमर्श किया है, लेकिन अब तक कोई बीच का रास्ता नहीं निकला है।
दरअसल, पाकिस्तान को आईएमएफ की ओर से तय किए गए लोन को लेकर परेशानी में परेशानी आ रही है, क्योंकि इस स्थिति में देश को कई सारे क्षेत्रों में खर्च करने की वजह को बढ़ा देते हैं और ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की जनता पर दावे की बहुत भारी मार रचना।
पाकिस्तान को पैसे के लिए IMF की याद आई
ये पहली बार नहीं है, जब कंगाल पाकिस्तान को किसी चीज़ के लिए आईएमएफ की याद आई हो। पाकिस्तान ने पहली बार 1958 में आईएमएफ से कर्ज की मांग की थी। तब के जनरल रहे औब खान ने सेना के पलट जाने के बाद 25 मिलियन डॉलर से IMF बेल आउट पैकेज की शुरुआत की थी। तब से लेकर अब तक पाकिस्तान 23 बार आईएमएफ से पैसे मांग चुका है।
आईएमएफ ने पाकिस्तान की डूबती इकॉनमी को पार लगाया है। पाकिस्तान को IMF का लोन कब तक नसीब होगा ये तो पता नहीं, लेकिन इससे पहले ही इस वक्त देश के सबसे करीबी दोस्त ड्रैगन यानी चीन ने पाकिस्तान की 70 करोड़ डॉलर की मदद की है।
सरकार कर चुकी है भारी शॉट
वैसे तो पाकिस्तान को इस नशे की लत IMF के ही पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत है. अगर पाकिस्तान को पैसे मिल जाते हैं तो देश की जनता को इसका सबसे बड़ा कर्ज चुकाना पड़ेगा। आईएमएफ ने अपनी अलर्ट की सूची में जनता को मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने की मांग की है। इसका ध्यान रखते हुए हाल ही में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने मंत्रियों के होने वाले खर्च में भारी आवंटन करने का ऐलान किया है। कट में बिजली, फोन, गैस और पानी के पैसे खुद शामिल हैं।
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