- उमर दर नंगियाना और इमाद खालिदा
- बीबीसी उर्दू
पाकिस्तान में पिछले आठ महीने से जारी राजनीतिक संबंध और इस साल की बाढ़ ने देश को आर्थिक रूप से बहुत नुकसान पहुंचाया है।
देश में जोखिम की स्थिति पैदा होने से न शेयर पूंजी निवेश प्रभावित हुआ है बल्कि आर्थिक घाटा बढ़ने के साथ पाकिस्तानी रुपये के मूल्य की तुलना में डॉलर स्काई छू रहा है।
पाकिस्तान की मुद्रा इस समय डॉलर के मुक़ाबले अत्यधिक दबाव में है।
इसके अन्य कारणों के अलावा एक मुख्य कारण आयात में इज़ाफा है जिससे डॉलर की मांग में बहुत वृद्धि हुई है जबकि दूसरी ओर देश के दृष्टिकोण में मामूली दोष उत्पन्न हुआ है।
डॉलर के मूल्य में वृद्धि के कारण वाणिज्यिक और आर्थिक घाटा बढ़ रहा है, वहीं देश के मुद्रा विनिमय के कोष में भी काफ़ी कमी आई है। आर्थिक आर्थिक आर्थिक स्थिति में वृद्धि को देश की अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरनाक संकेत मानते हैं क्योंकि यह घाटा चलते के घाटों को बढ़ा हुआ विनिमय दर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
पाकिस्तान इस समय कुछ विशेष आर्थिक मदद या कर्ज नहीं पा रहा है जिसके कारण विदेशी मुद्रा तेजी से गिर रही है।
पाकिस्तान में अगले कुछ महीनों के दौरान एलियन कर्ज़ के मद में 30 अरब डॉलर की स्वीकृति दी जाएगी, लेकिन इसका समय सामने आने से पाकिस्तान के लिए खतरा होने की आशंका बढ़ रही है और इसका झटका भी लग रहा है।
हालांकि पाकिस्तान सरकार की ओर से देश के बहिष्कृत होने की आशंका को खारिज कर दिया गया है।
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‘परिस्थितियां मुश्किल ज़रूर पर आशंका की आशंका नहीं’
केंद्रीय वित्त मंत्री इसहाक डार ने बुधवार को शेयर परिवर्तन के समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक दृष्टि से घिनौने दौरे हैं लेकिन पाकिस्तान के बहिष्कृत होने की कोई आशंका नहीं है।
वित्त मंत्री का कहना था, “हम हर दिन सुनते हैं, पाकिस्तान डिफ़ॉल्ट हो जाएगा? कैसे हो जाएगा? आप लोग पूंजी निवेश करें, काल्पनिक चिंतकों की बातों पर ध्यान न दें।”
उनका कहना है, “कुछ लोग अपनी राजनीति के लिए देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन राजनीतिक उद्देश्यों के लिए देश के कुरूप होने की बातें न खोलें।”
लेकिन जब आने वाले समय में पाकिस्तान को 30 से 32 अरब रुपये की जरूरत हो और उसके केंद्रीय बैंक में विदेशी मुद्रा परिवर्तन के कोष में छह अरब डॉलर के क़रीब शामिल हों और उनमें से भी अधिकतर चीन, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे मित्र देशों से इस शर्त पर रखते हैं कि यह ख़र्च करने के लिए नहीं हैं तो सवाल खड़ा होता है।
ध्यान रहे कि इन दोस्तों देशों ने ये पैसे इस शर्त पर पाकिस्तान के पास रखे हैं कि वह उन्हें ख़र्च नहीं कर सकता। तो इसका मतलब यह निकाला जा सकता है कि ख़र्च के लिए उपलब्ध डॉलर के कम होने की वजह से पाकिस्तान विदेशी क़र्ज़ पर चूक कर सकता है?
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इस स्थिति में वित्त मंत्री इसहाक डार देश के भविष्य न होने के दावों के आँकड़े कैसे हैं?
इसके बारे में पहले से ही कुछ आर्थिक मानदंड की बात की जाती है और यह जानने की कोशिश की जाती है कि क्या जब पाकिस्तान के पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वह कुछ महीनों में आने वाले डिजायर वापस कर पाते हैं और यदि आवश्यक सामान का आयात भी नहीं करते हैं पाए तो डिफॉल्ट होने से कैसे बचा जा सकता है?
सस्टेनेबल पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एसडीए), जोखिम से जुड़े वित्त डॉक्टर साजिद अमीन का कहना है कि अगर वास्तविक अर्थों में देखें तो इस समय पाकिस्तान के पास उपयोग के लिए विदेशी रिजर्व, डॉलर के कैश डिपॉजिट से कम हैं।
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मगर उनका ये भी कहना है कि पाकिस्तान का नुकसान नहीं होगा। उनके विचारों में इसकी दो मुख्य वजहें हैं।
वो कहते हैं, “एक तो यह कि पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में इसे कभी नहीं छोड़ा गया। इतिहास में कई संभावनाएं हमारी मुद्रा विनिमय के कोष से भी कम हैं। दूसरी वजह यह भी है कि पाकिस्तान के जिम्मे अदायगी के लिए जो कर्ज हैं, वो रोल ओवर हो जाएंगे यानी उनकी अदा करने की अवधि में विस्तार हो जाएगा।”
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर ख़ाक़ान नजीब भी इससे सहमत हुए कहते हैं कि हालांकि पाकिस्तान इस समय दबाव और मुश्किल में है लेकिन इसकी चूक होने की कोई गुंजाइश नहीं है।
वो कहते हैं कि हालांकि पाकिस्तान को इस समय आर्थिक घाटे का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि एलियन लोगों की वजह से चालू रहने का घाटा बढ़ गया था लेकिन अब उसके आयात की मात्रा को सीमित करके और धारणा से प्राप्त होने वाले मुद्रा विनिमय के रुझान के लाया जा रहा है।
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‘क्रिकेट और डिफ़ॉल्ट के बीच है’
डॉक्टर साजिद अमीन कहते हैं कि पाकिस्तान के वित्त मंत्री इसहाक डार जिस विश्वास के साथ यह दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान डिफ़ॉल्ट की ओर नहीं जा रहा है उसके पीछे उन दो कारणों के साथ यह भी उम्मीद है कि पाकिस्तान को इमेज की अगली मदद मिल जाएगी .
वो कहते हैं, “आईएम एफ का प्रोग्राम मैच्योर होने से भी हमें डॉलर मिल जाएंगे और इसके बाद कुछ दोस्त देशों से हमें और पैसे भी मिल जाएंगे। मेरा अपना भी विचार है कि ऐसा हो जाएगा।”
हालांकि डॉक्टर को ये भी लगता है कि पाकिस्तान में सरकार को IM के प्रोग्राम को ग्रेट्रेट्स के साथ लेने की जरूरत है। अतीत में भी सरकार आईएमएफ पर राजनीति कर रही है और अब भी ऐसा महसूस होता है कि सरकार वही कर रही है।
उनके अनुसार, “ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए। आप इसे इस तरह समझ लें कि इस समय पाकिस्तान और डिफ़ॉल्ट के बीच imf है। -तफ़री फैलाने की ज़रूरत नहीं है।”
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उनके अनुसार, इस तरह की अफ़रा-तफ़री से पहले भी पाकिस्तान को नुकसान उठाना पड़ा था जब डॉलर की तुलना में रुपए का मूल्य बहुत अधिक गिर गया था। बाजार में परिवर्तन दर में दावा- दावे जोड़े अफ़वाहों और अफ़रा-तफ़री की वजह से प्रभावित होता है।
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और वित्त मंत्रालय के पूर्व प्रवक्ता डॉक्टर ख़ाकान नजीब भी आईएमएफ़ को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की बहाली करने वाले डॉक्टर करारा देते हैं।
उनके मुताबिक, “पाकिस्तान को डिफ्ल्टर होने से बचाने के लिए सिर्फ एक डॉक्टर है, आईएमएफ़।”
वो कहते हैं कि पाकिस्तान के डिफल्टर होने या न होने का बहुत बड़ा दारोमदार IMAF के प्रोग्राम में है।
तीन नवंबर को आईएमएफ़ के कार्यक्रम की नौवीं समीक्षा बैठक होने वाली थी, जिसमें अब दो माह की देरी हो गई है।
उनके अनुसार, “जब मैं इसकी समीक्षा करूंगा तो ‘फंड फ़्लो’ बनना शुरू हो जाएंगे। इससे देश में मुद्रा विनिमय के कोष बेहतर हो सकते हैं।”
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आईएम एम् पर बयाना करना होगा
नजीब का कहना है कि पाकिस्तान के लिए आईआईएम प्रोग्राम काफी महत्वपूर्ण है और इस पर स्पष्ट रूप से स्पष्ट फैसला लेना होगा कि हम इसे नहीं छोड़ेंगे। प्रधानमंत्री की ओर से ‘आईएमएफ़ हीअल्टी हल’ की मुद्राएँ आर्थिक स्थिरता के लिए सही दिशा में हैं।
उनका मानना है कि इमेज का प्रोग्राम अगले छह महीनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और अगर पाकिस्तान रिव्यू प्रोग्राम को कामयाबी से सुलझा लेता है तो आम लोगों के बीच देश के डिफ्ल्टर होने की राय खत्म हो जाएगी क्योंकि ‘फंड फ़्लो’ दिखेगा और स्टॉक मार्केट, करंसी मार्केट व क्रेडिट मार्केट सकारात्मक बदलाव लाएगा।
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर ख़ान नजीब का कहना है कि ‘पाकिस्तानी शासक और निर्माता नीति आईएमएफ़ से क्या चाहते हैं कि इसके बारे में बहुत स्पष्ट हैं यानी बाढ़ के बाद विकास की दर के बारे में बताते हैं, क्योंकि लगातार अक्टूबर में आईएम एफ़ रिटर्न प्रोग्राम की शुरुआत हुई थी तो उस समय बाढ़ की तबाही के प्रभाव में शामिल नहीं हुआ था। इसलिए पाकिस्तान को कुछ ग्रहण निर्णय हो जाएगा ताकि जनवरी में IMAF के साथ मामला स्पष्ट रूप से तय हो जाए और हम इस संकट की स्थिति से प्रस्थान की उम्मीद रखें।’
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आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर साजिद का कहना है कि जब आप आयात, विदेशी पूंजी निवेश और विदेशी मुद्रा प्राप्ति के मुद्रा विनिमय के कोष में वृद्धि करते हैं तो जोखिम के आधार पर सबसे अधिक लाभकारी और अनुकूल स्थिति होती है।
वो कहते हैं, “लेकिन इस समय और आने वाले दिनों में जल्दी ही इन ब्रुक में सुधार लाना और उनसे डॉलर कमाना पाकिस्तान के लिए संभव नजर नहीं आ रहा है।”
“निर्यात को बढ़ाना भी मुश्किल होगा क्योंकि दुनिया भर में आर्थिक मंदी का विनाश है। विदेशी पूंजी निवेश पाकिस्तान में नहीं हो रहा है और विदेशी मुद्रा प्राप्ति में सरकारी माध्यमों द्वारा भी डॉलर के काले होने की वजह से कमी आई है।”
उनके विचार में जब डॉलर ओपन मार्केट में 253 रुपये का होगा तो कोई विदेश से क्यों सर्टिफिकेट के लिए 220 रुपये के रेट पर सामान बिजवाएगा।
“ऐसी स्थिति में मुद्रा विनिमय के कोष को बरकरार रखने के लिए कैश डिपॉजिट ही बेहतर विकल्प दिखाई देता है। हालांकि नीतिगत रूप से इसे पकड़ और एफ द्वारा आकर्षित होने की आवश्यकता है।”
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डॉलर खर्च नहीं कर सकते तो क्या फायदा?
पाकिस्तान की मुद्रा विनिमय के कोष वह अमेरिकी डॉलर की मदद से वह कर्ज वापस कर सकता है या फिर जरूरी सामान आयात करता है जैसे कि ईंधन आदि, उनका एक बड़ा हिस्सा मित्र देशों की ओर से दिए गए डॉलर से आता है।
हालांकि पाकिस्तान यह डॉलर खर्च नहीं कर सकता यानी वे कर्जों की अदायगी या आयात के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते। तो सवाल यह है कि फिर उन डॉलर का पाकिस्तान को क्या फायदा हो रहा है?
यह स्पष्ट करते हुए डॉक्टर साजिद कहते हैं कि मित्र देशों की ओर से पाकिस्तान के पास रखे गए उन अरबों डॉलर का फायदा यह है कि “इससे पाकिस्तान के मूल्य में स्थिरता और उसका मूल्य और गिरेगा नहीं।”
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डॉक्टर साजिद कहते हैं कि इसकी तुलना में अगर आप यह मान लें कि अगर पाकिस्तान के पास एक भी डॉलर न हो तो पाकिस्तान रुपये के मूल्य पर कितना अधिक दबाव पड़ेगा।
“जेटकी रुपये का मूल्य कम होने की वजह से बाजार में इस पर गारंटी पूरी हो सकती है।”
इस स्थिति से बचने के लिए पाकिस्तान की मुद्रा विनिमय के कोषों में अरबों डॉलर की निश्चित बाजार में यह सोची शत्रु है कि पाकिस्तान के पास डॉलर हैं किसी दिन मदद से उसे ख़र्च करने के लिए और डॉलर भी मिल जाएंगे जैसे कि आदि से।
हालांकि डॉक्टर साजिद का कहना है कि पाकिस्तान को आई एम एफ से प्रोग्राम मंज़ूर के लिए जरूरी है कि वह पहले सरकार की स्वीकृति और ओपन मार्केट में डॉलर के मूल्य में समानता के लिए उसे सख्त कदम की शिकायत उठाएगा।
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