- अमन द्विवेदी
- बीबीसी हिंदी के लिए

छवि स्रोत, प्रभात वर्मा और पूजा पाल
उमेश पाल (बाएं) वर्ष 2005 में यूपी के विधायक राजू पाल (दाएं) की हत्या के मामले में मुख्य गवाह थे। 24 तर्क 2023 को प्रयागराज में उनकी हत्या कर दी गई थी।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में चार दिन पहले हुए उमेश पाल हत्याकांड में हर रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं।
सोमवार को प्रयागराज पुलिस ने इस मामले के एक अभियुक्त को एनकाउंटर में मार दिया।
वहीं मंगलवार को कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं जिन्होंने राजनीतिक दलों से अभियुक्तों के कथित संदेशों पर सवाल खड़ा किया।
2005 में हुई हत्या की एक घटना के मुख्य गवाह उमेश पाल की 24 तर्क, 2023 के दिन दहाड़े हत्या कर दी गई थी।
हत्यारे की घटना को अंजाम देने के बाद पीछा करने में कामयाब हो गए थे।
प्रयागराज पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी खंगालने के बाद उन्होंने पूर्व सांसद और बाहुबली अतीक अहमद के बेटे असद, ‘बंबाज’ गुड्डू मुस्लिम, गुलाम और अरबाज की पहचान की थी. पुलिस के अनुसार सदाकत ख़ान नाम के एक व्यक्ति की पहचान साज़ीश कलाकार की पहचान की जाती है।
पुलिस का कहना है कि उन्होंने एक अभियुक्त अरबाज को प्रयागराज में एक पहचान के दौरान पकड़ा था, लेकिन गोली के घाव से सोमवार को अरबाज की मौत हो गई।
प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर रुमित शर्मा ने पापाराज़ी से बात करते हुए कहा, “हत्या की साज़िश मुस्लिम छात्रावास में रची गई थी. यह जानकारी हत्या में शामिल सदाक़त ख़ान ने पूछताछ के दौरान दी. सदाक़त को एसटी ने सोमवार को गोरखपुर से गिरफ़्तार किया. वह नेपाल प्रवास की फ़िराक़ में था।”
पुलिस ने यह भी बताया कि सदाकत इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के मुस्लिम बोर्डिंग रूम के रूम नंबर 36 में अवैध रूप से रह रहा था. पुलिस का दावा है कि उसी कमरे में उमेश पाल की हत्या की साजिश रची गई थी।
क्या सदाक़त के राजनीतिक भाव हैं?
मंगलवार को सदाकत खां के सभी यादव के साथ दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। बीबीसी इन तस्वीरों की प्रमाणिकता को प्रमाणित नहीं कर सकते हैं।
तस्वीरों के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो गई है।
बीजेपी का दावा है कि एलायंसबी छात्र सदाक़त ख़ान समाजवादी पार्टी की क़रीबी है। पार्टी ने अपनी स्टेट यूनिट के ट्विटर हैंडल से एक न्यूज रिपोर्ट शेयर की जिसमें अखिलेश यादव की सदाक़त ख़ान के साथ एक तस्वीर दिखाई दे रही है।
छवि स्रोत, अणि
बीजेपी ने ट्विटर पर लिखा है, “किस रग-रग में अपराध भरा होता है उसे क़ानून-व्यवस्था पर दुहाई नहीं पढ़ा जाता है अखिलेश यादव जी. प्रयागराज में हुए हत्याकाण्ड में घटना की आपके साथ तस्वीर बता रही है कि आपने प्रदेश को क्या दिया है है?”
वहीं समाजवादी पार्टी मीडिया सेल ने भी सदाक़त ख़ान की एक तस्वीर साझा की है, जिस पर वो आरोप लगा रहे हैं कि सदाक़त बीजेपी विधायक नीलम कावरिया के पति उमेश के साथ दिख रहे हैं।
छवि स्रोत, अणि
विधान व्यवस्था को लेकर ज्यादा नहीं मानते सवाल
प्रयागराज हत्याकांड को विधानसभा में सुप्रीम योगी आदित्यनाथ और सभी नेता सभी सर्वोच्च यादव में तीसरी दावेदारी हुई तो बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाए।
अखिलेश यादव ने कहा, “इलाहाबाद में जो घटना हुई है, उसके मुख्य गवाह उसकी खुलेआम हत्या कर रहे हैं, खुलेआम लोग शूटिंग भी कर रहे हैं। किस तरह से गोलियां चलती हैं। अपराधी के पीछे भागकर गोली मारने पहुंचे। और बम चले गए। उत्तर प्रदेश। में इस तरह का गोली, बम उठाकर गैंगवार की तरह दिखाई देता है। बम चलना क्या जीरो टॉलरेंस है?”
वहीं योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज की घटना को लेकर कहा कि वो यूपी में ‘माफिया को मिट्टी में मिलेगा।’
उन्होंने लक्षित पर साधते हुए कहा, “आप सभी अपराधियों को पकड़ेंगे उन्हें माल्यास्थि करेंगे। और उसके बाद तमाशा बनाएंगे आप लोग।
योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा, “जिस अतीक अहमद के खिलाफ पीड़ित परिवार ने मामला दर्ज किया है, वह समाजवादी पार्टी द्वारा भरा माफ़िया है। उसकी कमर तोड़ने का काम हमारी सरकार ने किया है। मैं फिर इसी घर में कह रहा हूँ, इस माफ़िया को। मिट्टी को मिला देंगे।
वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने घटना को लेकर ट्वीट करते हुए कहा, “प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह वकील उमेश पाल और उनके गनर की दिनहाड़े हत्या अति-दुखद व अति-निन्दनीय है। यह घटना ऊपर सरकार के क़ानून-व्यवस्था के की पोल खोली है। सरकार मामले को ग्रेविटास से ग्रहण करते हुए इसके उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों को सख़्त सज़ा बढ़ाए।”
छवि स्रोत, एएनआई
पुलिस का दो बड़ा अपॉइंटमेंट मिलने का दावा
प्रयागराज पुलिस सदाक़त ख़ान के साथ घटना में शामिल दूसरे लोगों की जानकारी उनके रहस्य भी गई और कमरे से कुछ और सबूत भी मिलने का दावा कर रही है।
उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड आर्डर पैसिफिक कुमार ने कहा, “इस घटना में शामिल अरबाज पहले घायल हुए और इसके पास से 32 बोर की पिस्टल बरामद हुई। यह आरोप है कि घटना के दिन क्रेटा कार का इस्तेमाल हुआ था। उसका ड्राइवर। था. उस दिन उसे फायरिंग भी की गई थी.”
इसी बीच अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने इलाहाबाद जिला अदालत में याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि उनके बेटों का मार्कर नहीं मिल रहा है।
उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने अतीक अहमद के साथ उनके भाई, पत्नी, दो बेटों और अन्य के खिलाफ मुक़दमा दर्ज किया है।
छवि स्रोत, अणि
उमेश पाल की हत्या कैसे हुई
24 रेटिंग को लेकर उमेश पाल पर कोर्ट से वापस लौटते हुए जल्दबाजी पर हमला हुआ। सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट नजर आता है कि उमेश पाल जैसे ही अपने घर के पास पहुंचे, वैसे ही बदमाशों ने पहले तो उनकी कार पर जहरीलीं मारी। फिर जब उमेश अपने गनर के साथ घर की ओर भागे, तो बदमाशों ने उन पर दो बम फेंके।
इलाज के दौरान तीनों को तत्काल अस्पताल ले जाया गया उमेश पाल और उनके महापुरुष संदीप मिश्रा की मौत हो गई। दूसरे गनर राघवेंद्र सिंह का लखनऊ में इलाज चल रहा है और उनकी हालत नाज़ुक बनी है।
छवि स्रोत, अणि
कौन थे उमेश पाल?
उमेश पाल 2005 में बीएसपी के विधायक राजू पाल की हत्या के बाद सुर्ख़ियों में आए थे जब उन्हें राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य गवाह बनाया गया था।
राजू पाल की पत्नी पूजा पाल के मुताबिक जब 2006 में राजू पाल के मर्डर का ट्रायल शुरू हुआ तब उमेश पाल मुकर गए थे।
पूजा पाल के मुताबिक जब राजू पाल हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी गई तो सीबीआई ने उमेश पाल को गवाह नहीं बनाया।
तो मौजूदा मुक़दमे में उमेश पाल, राजू पाल की हत्या के गवाह नहीं हैं।
उमेश पाल के इतिहास के बारे में और जानकारी देते हुए पूजा पाल कहते हैं, “उमेश पाल अपने बड़े भाई के टैंकर चलते थे। 2005 में यह पुलिस के अधिकार मेरे पति की हत्या के मामले में बने गवाह थे। चश्मदीदों के अनुसार घटना के बाद में वे वहां पहुंचे और उन्हें (राजू पाल) लेकर उमेश पाल अस्पताल गए।”
उमेश पाल प्रयागराज के धूमनगंज इलाके के रहने वाले थे और उन्होंने शिकायतों की शिक्षा की थी। राजू पाल की पत्नी और चैल विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक पूजा पाल के अनुसार वो उमेश पाल की बुआ की बेटी हैं। वो कहते हैं कि दावा करने से पहले वो टैंकर दौड़ रहे थे। उसी के साथ उमेश पाल ने एक पीसीओ खोला था और उनकी माता जी सरकारी नौकरी करती थीं।
पूजा पाल के मुताबिक उमेश पाल 2006 से 2012 तक बसपा में रहे और बाद में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।
2022 विधानसभा चुनाव के समय उमेश पाल बीजेपी में शामिल हुए थे। वो प्रयागराज के फाफामऊ विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव लड़ने के इच्छुक थे।
पूजा पाल के मुताबिक राजू पाल हत्याकांड के बाद उमेश पाल अतीक अहमद के निशाने पर आ गए थे। लेकिन प्रापर्टी और राजनीति के कारण भी उमेश पाल के लोगों से दुश्मनी थी।
राजू पाल हत्याकांड की अदालती करवाई के बारे में पूजा पाल बताते हैं कि “मुकदमे की सीबीआई जांच का आदेश 2016 में सुप्रीम कोर्ट से हुआ था। जिसे सीबीआई कोर्ट (प्रथम) द्वारा आरोप तय किया गया था।”
पूजा पाल का कहना है कि दिसंबर 2022 में उनके बयान दर्ज किए गए और अब मुख्य गवाहों की गवाही सामने आई है।
बागपत वाले ‘चाचा’ अब पूरी तरह से बदल चुके हैं
पूजा पाल का कहना है कि उन्होंने अपने और गवाहों की सुरक्षा के लिए योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा है।
विधायक राजू पाल हत्याकांड
उत्तर प्रदेश में 2003 में घिरे सिंह यादव की सरकार बनी थी। मीडिया रिपोट्स तब के अनुसार अतीक अहमद समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे।
2004 के विधानसभा चुनाव में वो सपा से सांसद बने थे। इस वजह से इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट खाली हुई है।
2004 में अतीक ने अपने भाई खालिद अज़ीम अरी अशरफ को वहां से मैदान में उतारा लेकिन वह चार हजार वोटों से बसपा के सब्सिडी राजू पाल से हार गए थे।
- राजू पाल पर बाद में कई हमले हुए और राजू पाल ने इसके लिए सांसद अतीक को जिम्मेदार ठहराते हुए अपनी जान को खतरा बताया था।
- 25 जनवरी, 2005 को राजू पाल के काफिले पर एक बार फिर हमला किया गया।
- राजू पाल को कई गोलियां लगीं। फायरिंग करने वाले फिर हो गए।
- अस्पताल में भर्ती होने पर पाल को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था।
2005-2023 तक मामले का क्या हुआ
2016 में पूजा पाल सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया।
छवि स्रोत, फेसबुक/बीबीसी
कौन हैं अतीक अहमद
अतीक अहमद फिल्हाल गुजरात की जेल में बंद हैं। अतीक अहमद पर प्रयागराज के सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर्स, टेक्नोलॉजीज एंड लेंजेज के कर्मचारियों पर आरोप लगाते हैं।
अतीक का राजनीतिक संघर्ष 1989 में तब शुरू हुआ जब वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में प्रयागराज के पश्चिम से विधायक बने थे। अगली दो विधानसभा चुनावों में अपनी सीट बरकरार रखने के बाद अतीक सपा में शामिल हुए और 1996 में लगातार चौथी बार जीत हासिल की। तीन साल बाद, वह अपनी पार्टी का हिस्सा बन गए और 2002 में एक बार फिर सीट स्लिमिंग।
2004 में सपा में लौटे के बाद फूलपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने, जो एक सीट कभी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पास थे।
अतीक अहमद को पहला बड़ा झटका तब जब उनके और भाई के ऊपर 2005 में राजू पाल की हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज हो गई।
साल 2007 में उत्तर प्रदेश की सत्ता बदली और मायावती सूबे का सिर चढ़ गया। सत्ता ही सपा ने अतीक को पार्टी से बाहर निकाल दिया। मायावती की सरकार ने अतीक को मोस्ट वांटेड घोषित कर दिया।
अतीक अहमद ने 2008 में सरेंडर कर दिया और 2012 में रिहा हो गए। इसके बाद उन्होंने 2014 के 2014 के चुनाव में स्पा के टिकट पर जीत हासिल की, लेकिन हार गए।
अतीक अहमद के 2019 के महीने में दिए गए हलफना में के मुताबिक उनके खिलाफ 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, रंगदारी जैसे मामले हैं।
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