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- नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित मामले के साथ फर्जी गैंगरेप और हत्या के मामले में एक स्थानीय अदालत ने एक अभियुक्त को दावा प्रमाण दिया है और उसकी उम्रकैद की सजा सुनाई है। क्षमा पर 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
इस मामले में आरोप का आरोप साबित नहीं हो सका। पीड़ित पक्ष के वकील के अनुसार कोर्ट ने अभियुक्त संदीप सिंह को गैर इरादतन हत्या और एससी एसटी एक्ट के तहत दोषी करार दिया है।
इस मामले के तीन अभियुक्तों को बहुत कर दिया गया है।
पीड़ित पक्ष के वकील ने कहा है कि वो कोर्ट के फ़ैसले से ‘संतुष्ट नहीं है’ और इस मामले में हाई कोर्ट में अपील करेंगे।
सितंबर 2020 का ये मामला देश और विदेश में चर्चा में रहा था। पीड़िता पर्इटेजमेंट (19 साल) के बयानों के आधार पर गैंगरेप का मामला दर्ज किया गया था। पीड़िता की मौत के बाद हत्या का मामला भी सामने आया। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी।
पीड़िता की मौत दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हुई थी। पुलिस ने आधी रात में ही एक अजनबी लड़की के चेहरे को बिना दिखाए उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। इसे लेकर काफी स्पष्ट जाहिर किया गया था।
मानवाधिकार अंग सहित कई अंगों ने इस मामले को ज़ोर शोर से उठाया था। इसे लेकर काफी राजनीति भी हुई थी।
उच्च न्यायालय में अपील करेंगे: पीड़ित पक्ष
पीड़िता की स्थिति और श्रेष्ठता का कहना है कि वो फ़ैसले से पूरी तरह ‘संतुष्ट नहीं हैं’ और उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
पीड़ित पक्ष के वकील सीमा कुशवाह ने बीबीसी संवाददाता अनंत झांझें को बताया, “हम हाई कोर्ट में अपील करेंगे। आज एक को सजा हुई है, मुझे पूरी उम्मीद है कि बाद में उन तीनों को भी दोषी ठहराया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “हमारे पास जजमेंट कीपी है। उसे पढ़ने के बाद हम अपील करेंगे।”
पीड़ित के रिश्ते ने बीबीसी संवाददाता से कहा, “हम सालों से सिर झुकाकर कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे थे। हमने न्याय के लिए इंतज़ार किया है। हमने पैसे नहीं लिए न्याय मांगा है। हम चाहते हैं कि चारों को सज़ा मिले।”
उन्होंने कहा, “हमारे घर से बेटी गई है। हम दिन रात तड़पते हैं, रोते हैं उसे याद करके, दिल में दर्द होता है।”
उन्होंने कहा, “हम अभी अस्थि विसर्जन नहीं करेंगे.
सीबीआई ने की जांच
बढ़ते विरोध और मामले की जांच में उत्तर प्रदेश की पुलिस पर लगातार शिकायतें सवालों के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
- सीबी ने इस मामले में 11 मिनट 2020 को एफआईआर दर्ज की थी.
- 18 दिसंबर 2020 को चार्ज के हिसाब से चार्ज कर दिया गया था।
- सीबीआई ने चारों अभियुक्तों की हत्या और गैंगरेप के आरोप तय किए थे।
- चार्ज साइज में यूपी पुलिस पर भी तरह के आरोप लगाए गए थे।
पीड़ित पक्ष ‘संतुष्ट नहीं’
करीब साल बाद कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया।
कोर्ट के फैसले के बाद पीड़ित पक्ष के एक अन्य वकील महिपाल सिंह ने ट्रेपेज को बताया, “कोर्ट ने तीन लोगों को भारी कर दिया है। गैर इरादतन हत्या) में दोषी माना जाता है। अपराध सिद्ध नहीं होता है।”
महिपाल सिंह ने कहा कि वो कोर्ट के झूठे दावे नहीं करता है।
उन्होंने कहा, “हम जजमेंट से जज नहीं हैं। हम इस मामले को हाई कोर्ट में अपील करेंगे।”
बचाव पक्ष के वकील मुन्ना सिंह पुंधीर ने भी बीबीसी से फैसले की पुष्टि की है। सीबीआई की ओर से अभी कोई कंफर्म नहीं आया है।
केस से जुड़े दूसरे लोगों ने कहा कि वो बाद में कुछ कहेंगे।
हैरस कोर्ट के बाहर गुरुवार को सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजाम किए गए थे। कोर्ट के बाहर स्थानीय लोगों की भीड़ थी। इसके अलावा बड़ी संख्या में पत्रकार भी जमा थे।
क्या है मामला
सितंबर 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस के एक गांव में करीब 19 साल की डायरी अपनी मां के साथ घर से करीब आधा किलोमीटर दूर घास काट गई थी।
पीड़ित पक्ष के आरोप के मुताबिक गांव के ही चार अभियुक्तों ने उसका बलात्कार किया। पीड़िता के मां का आरोप है कि जब वो पीड़िता के पास पहुंची तो वह घायल हो गई और उसके कपड़े फट गए।
बाद में पीड़िता की मां और बड़ा भाई तुरंत उसे मोटरसाइकिल से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर चंदपाथाने लेकर गए थे। यहां से उसे जिला अस्पताल ले जाया गया था और वहां से अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था।
लड़की ने होश में आने के बाद अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में जमा दिया था जिसकी नींव पर गैंगरेप का मुक़दमा दर्ज किया गया था।
उसे 28 सितंबर को अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था, जहां अगले दिन उसकी मौत हो गई थी।
तीस सितंबर को रात के अंधेरे में ही पुलिस ने बिना परिवार का चेहरा दिखाते हुए लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया था जिसे लेकर काफी बेदखल हो गया था।
इस मामले की जांच पहले यूपी पुलिस, फिर यूपी पुलिस की एसआईटी और उसके बाद सीबीआई ने की थी।
केस से जुड़े सभी के मुताबिक कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रेप का आरोप साबित नहीं हो सका।
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