इमरान खान भाषण प्रतिबंध: पाकिस्तान सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के लाइव भाषण, अभिलेख भाषणों और प्रेस कॉन्फ्रेंस के टेलीकास्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है. एआरवाई की रिपोर्ट के अनुसार, इसका फैसला रविवार (5 मार्च) को पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेरिटी व्यूअरशिप (पीईएमआरए) ने लिया है।
पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामकता दस्तावेज़ (PEMRA) प्रभाव से सभी उपग्रह टीवी चैनलों पर पूर्व पीएम से संबंधित भाषणों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके पीछे वजह यह है कि इमरान खान अपने भाषणों/बयानों में लगातार आधारहीन आरोप लगाते रहते हैं।
नफरत फैलाने वाले भाषण
पाकिस्तान (पाकिस्तान) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेरिटी स्नैपशॉट ने कहा है कि पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान स्टेट एलोकेटर्स और अधिकारियों के खिलाफ अपने मामले बयानों के माध्यम से नफरत फैलाने वाले भाषण दे रहे हैं। ये कानून और व्यवस्था के रखरखाव के लिए सही नहीं है। इससे सार्वजनिक शांति भंग होने की संभावना है। पीईएमआरए के अनुसार, राज्य के जिलाध्यक्ष और अधिकारियों ने बेबुनियाद के खिलाफ पाकिस्तान के संविधान के लेखा-जोखा 19 का उल्लंघन करते हुए अनुचित और अनावश्यक बयानों का प्रसारण किया था।
मोटो मामले के तहत पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय (एससी) के एक फैसले में स्व-आदेश पारित किया गया था। पेमरा ने आगे कहा कि इमरान के भाषण के कंटेट का विश्लेषण करने के बाद देखा गया है कि कंटेट को लाइसेंसधारियों की मदद से प्रभावी समय पर सिस्टम के बिना लाइव टेलीकास्ट किया गया था, जो कि पेमरा कानून का उल्लंघन है। कोर्ट के ओर से पास डॉक्युमेंट को नजरअंदाज किया जाता है।
कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है
एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार पीईएमआरए के अध्यक्ष के कारणों को ध्यान में रखा गया। पीईएमआरए संशोधन अधिनियम के मार्ग की धारा 27 (ए) के सहायता से सभी उपग्रह टीवी चैनलों पर प्रभाव से इमरान खान के लाइव भाषण के टेलीकास्ट पर रोक लगा दी है। पेमरा ने सभी उपग्रह टीवी चैनलों को ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आचार संहिता 2015 के खंड 17 के तहत एक फेयर एडिटरीय बोर्ड का गठन किया जाएगा। इस निर्देशों के दौरान किसी भी उल्लंघन के मामले में पीईएमआरए कानून के अनुसार कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। वहीं डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार इमरान खान ने रविवार (5 मार्च) को वजीराबाद हत्याकांड के आरोपों के पीछे पीएम शहबाज शरीफ, आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह और एक खुफिया अधिकारी का नाम लिया।
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