कतर में शहबाज शरीफ: पाकिस्तान में आर्थिक संकट काफी गहरा गया है। देश में रिकॉर्ड तोड़ती रिकॉर्ड से लोगों का हाल हाल है। लोगों को दो जून की रोटी के लिए भी डाकिया पड़ रहा है। लाखों बेरोजगारों के सामने बेरोजगारी और भूखमरी की समस्या खड़ी हो रही है। इस बीच देश के प्रधान मंत्री शहबाज सरफराज विदेश दौरे पर हैं। रविवार (5 मार्च) को शहबाज शरीफ (शहबाज शरीफ) सबसे कम विकसित देशों में 5वें संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिन की यात्रा पर कतर रवाना हुए।
पाकिस्तान (पाकिस्तान) के पीएम शाहबाज शरीफ को शेख के शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने आमंत्रित किया है। रविवार (5 मार्च) को शहबाज शरीफ और कतर के शासक तमीम रोलिंग हमद अल थानी ने सदस्यता के रूप में जरूरी मस्जिदों पर चर्चा की।
शहबाज का कतर दौरा
पाकिस्तान का वजूद खतरे में है. इसके बावजूद शाहबाज शरीफ सब छोड़-छाड़ कर कतर पहुंच गए। शाहबाज कतर में होने वाले यूएन के सबसे कम विकसित देशों की कॉन्फ्रेंस में शामिल होंगे। कतर के शासक अल थानी के न्यौते पर वो दोहा पहुचे हैं। यूएन की ये कॉन्फ्रेंस 9 मार्च तक हुई। इसमें दुनिया के कम विकसित देशों में टिकाऊ विकास में तेजी से आने वाली चर्चा की जाएगी।
5-9 मार्च तक सम्मेलन
5-9 मार्च तक आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में सबसे कम विकसित देशों में सतत विकास में तेजी से कदमों पर मदद करने पर विचार किया जाएगा, जिससे उनमें समृद्धि की राह पर आगे बढ़ेंगी। सम्मेलन में नेता सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पक्ष में अंतरराष्ट्रीय समर्थन की अपील करेंगे। साथ ही नए लुक्स से साझेदारी पर सहमति बनाने की कोशिश होगी। यानी संयुक्त राष्ट्र जिन 46 गरीब मुल्कों को दिखा देता है, अब उनके सामने सरफरा पापी पेट का रोना रोएंगे।
मैं जा रहा हूँ
पाकिस्तान अपनी वजह से खराब हाली की स्थिति में है। पाकिस्तान इतना अधिक बर्बाद हो गया है कि मूडीज ने इस देश की रेटिंग के आगे ट्रिपल सी लगा दिया है लेकिन शाहबाज मानते ही नहीं। देश की जनता में खोई हुई है। आटा, घी, तेल, सब्जी, अंडा, दूध को लेकर मांस तक सब पहुंच चुके हैं। पेट्रोल डीजल सेल स्काई पर हैं।
पाकिस्तान की जनता का क्या है आरोप?
पाकिस्तान के अवाम का आरोप है कि यहां के नेताओं को अपने मुल्क से प्यार नहीं है। देश की जनता को इस बात की आशंका है कि शाहबाज के यहां भी फ्लॉप रहेंगे। वहीं, कुछ लोगों ने देश की बर्बादी के लिए सेना को जिम्मेदार ठहराया। लोगों का मानना है कि भारत में सेना का हुकुमत नहीं है और सब कुछ ठीक है, जबकि पाकिस्तान में 33 साल की सेना की हुकुमत रही है। रंगे मुल्क के लोग मरें मरे तो मेरें। कांगाली में भी प्रधानमंत्री शाहबाज की विदेश यात्रा लचर रुतबे की धौस जमाने का इशारा करती है।
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