यूएस एरिक गार्सेटी: लॉस एंजिल्स के पूर्व मेयर एरिक गार्सेटी (एरिक गार्सेटी) भारत में अमेरिकी राजदूत (दूत) बनने की दौड़ में बुधवार (8 मार्च) को आगे बढ़ गए। अमेरिका की कोशिश के बावजूद भारत में अमेरिकी राजदूत का पद दो साल से ज्यादा समय तक खाली पड़ा है।
दरअसल, एरिक गार्सेटी को दो साल पहले यानि साल 2021 में ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से नामांकन दिया गया था। उस समय वो अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े शहर लॉस एंजिल्स में मेयर के पद पर काबिज थे। उसी समय मेयर के नामितों की एक सहयोगी ने यौन उत्पीडऩ के आरोप से समझौता करने की आलोचना की वजह से ठप हो गई थी।
सीनेट की ओर से सहमति की आवश्यकता
अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति में दो रिपब्लिकन डेमोक्रेट शामिल हैं, ताकि उनके नाम सीनेट में भेजे जा सकें। सीनेट में उनके पास राजदूत के पद की पुष्टि के लिए वोट होने की संभावना है, लेकिन फिर भी व्यक्तिगत सीनेटरों की ओर से खंगालना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, अधिकतर देशों के विपरीत अमेरिका में राजदूतों को सीनेट की ओर से सहमति की आवश्यकता होती है, जिसके कारण राजदूत के पद की नियुक्ति में बार-बार समय लगता है। हालांकि गार्सेटी के नामांकन अन्य असामान्य रूप से लंबे समय तक रुके हुए हैं।
विदेश विभाग के पादरी नेड प्राइस ने कमेटी की मतगणना के बाद रिपोर्ट देने से कहा कि सीधे शब्दों में कहें तो निश्चित तौर पर अमेरिका को भारत में एक राजदूत की जरूरत है। दुनिया भर में कोई भी ऐसा देश नहीं है, जो दो से अधिक वर्षों के लिए भारत जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और औपचारिक रूप से खुद को खाली रखने की स्थिति में हो।
भारत को लेकर जुड़ें
एक बार गार्सेटी ने भारत को लेकर अपनी रुचि के बारे में भी बात की थी। उन्होंने कहा कि वो विश्वविद्यालय के छात्र के रिश्तेदार भारत की यात्रा पर आए थे। उस दौरान वो हिंदी और उर्दू की पढ़ाई करने को प्रेरित हुए थे। वहीं गार्सेटी को मेयर बनने की तीसरी शर्त की मांग करने से रोक दिया गया था। वे एक बार डेमोक्रेटिक पार्टी की राजनीति में एक दम से सितारों के रूप में नजर आए थे और वो राष्ट्रपति पद की दौड़ में भी शामिल थे।
गार्सेटी के लिए मतदान करने वाले रिपब्लिकन में से एक बिल हेगर्टी हैं, जो जापान में एक राजदूत रह गए हैं। वो इस बात से सहमत थे कि नई दिल्ली के लिए एक पूर्ण-रैंकिंग राजदूत होना महत्वपूर्ण है।
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