- क्रिस्टीना ऑर्गेज
- बीबीसी मुंडो
कोरोना महामारी हो या यूक्रेन में जंग, एशिया के इस छोटे से मुल्क की इंडस्ट्री पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है।
दुनिया भर में कई देशों का कर्ज़ा बतहाशा बढ़ा है लेकिन ब्रुनेई में सब कुछ नियंत्रण में है।
कोरोना महामारी से निपटने के लिए कई देश अपनी ख़र्च बढ़ा रहे थे क्योंकि अचानक आई परेशानी के लिए कोई बजट नहीं था। COVID-19 की दुनिया की कंपनियों पर बहुत गंभीर असर पड़ा है।
वैश्विक नेटवर्क में हुई दरार के पीछे एक तरह से इस घटना पर खतरा ही था।
लेकिन इन सब घट्टों से दूर ब्रुनेई में कोई परेशानी नहीं दिख रही है। इस देश में पहुंच के दायरे में 1.9% ही कर्ज़ है। ये दुनिया में सबसे कम कर्ज़ है।
लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है कि ब्रुनेई की उद्योग स्वस्थ है।
कई विकासशील देशों के लिए कर्ज़ काफ़ी कम होता है क्योंकि इन देशों में दौलत और कर्ज़ दोनों ही कम होते हैं।
हालांकि ब्रुनेई के साथ ऐसा नहीं है।
पेट्रो स्टेट और बेपनाह दौलत
ब्रुनेई में लोगों के जीवन का स्तर विश्व के समृद्ध देशों जैसा है। इसका कारण यहां तेल और गैस का भंडार है।
लंदन स्कूल ऑफ़ ओरिएंटल ऐंड अफ़्रीकन स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर उल्रिख़ वॉल्ज़ कहते हैं, “ब्रुनेई एक पेट्रो स्टेट है। देश के रिकॉर्ड आयल और गैस उत्पादन का हिस्सा 90 फ़ीस है।”
एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 के अंत तक ब्रुनेई में एक अरब बिस्तर से अधिक तेल था। इसी तरह वहां 2.6 खरब घन मीटर गैस थी।
दक्षिण पूर्व एशिया में ब्रुनेई द्वीप के उत्तरी तट पर बसा ये देश मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ अपनी प्राथमिक साझा करता है।
सुल्तान हसन अल वोल्किया और उनके शाही परिवार के पास बेपनाह दौलत है।
कल्याणकारी राज्य जो नागरिकों से टैक्स नहीं लेता है
ब्रुनेई के नागरिक कोई आयकर टैक्स नहीं देते हैं। सरकार मुफ्त शिक्षा करवाती है और चिकित्सा सेवाएं भी निःशुल्क हैं।
जो लोग देश की राजधानी बंदर सेरी बगावन गए हैं वो दावे हैं कि ये एक सुरक्षित, स्पष्ट और शांत स्थान है।
इसके अलावा देश के शासकों की अपनी प्रजा के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। समय-समय पर जरूरी मंदिरों को साजिश और बने-बनाए घर भी देते रहते हैं।
आबादी के बंधन से ये एक छोटा सा देश है। यहां करीब पांच लाख लोग रहते हैं। और ये आबादी भी देश के छोटे से भू-भाग पर ही बसी है।
ब्रुनेई पर कर्ज़ कम होने की वजह से पेट्रो उत्पादों को बेचने वाला मिलने वाला पैसा है।
तेल और गैस से होने वाली कमाई की वजह से देश के पास एक बड़ा कैश रिजर्व है। इसी धन से देश के शासक छोटे-मोते योगे की वरीयता करते रहते हैं। उन्हें ऋण लेने की आवश्यकता नहीं है।
सही तरीके से ब्रुनेई की उद्योग काफ़ी छोटा है और पूरे क्षेत्र में इसका कोई प्रभाव नहीं है। इस देश ने तेल और गैस विक्रेता के कारण अपना महत्व खो दिया है।
प्रोफ़ेसर वॉल्ज़ कहते हैं, “तेल और गैस के आरोप के कारण देश का जिम्मेदार खाता विवरण में है। जिसका अर्थ है कि इस देश ने स्वयं कर्ज़ लेने के लिए और अधिक कर्ज़ देशों को दिया है।”
ब्रुनेई शायद दुनिया का एकमात्र देश है जिस पर न के बराबर विदेशी कर्ज़ है। यहां के बैंक और सरकारी खज़ाने पेट्रो उत्पादों से हुई कमाई के अधिकार में हैं।
यही कारण है कि जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी को बढ़ावा मिल रहा है तो ब्रुनेई शांत हो गया है।
बाकी दुनिया को काम करने के लिए विदेशों से कर्ज़ लेना पड़ रहा है। ये कर्ज़ के अलावा निजी ऋणदाताओं से भी लेना पड़ रहा है क्योंकि महामारी के कारण कई देशों का रेवेन्यू गिर गया है और ख़र्चा बढ़ गया है।
अर्थव्यस्था की ख़ूबी क्या है?
ब्रुनेई की अर्थव्यस्था के पक्ष में एक बात ये भी है कि उसे जो थोड़ा बहुत लोन चुकाना पड़ता है उसके लिए विदेशी मुद्रा में भुगतान नहीं करना पड़ता है।
दूसरी अच्छी बात यह है कि सरकार सारे मुनाफ़े को अपने ही देश में शत्रु है।
मूडीज़ के एक अर्थशास्त्री एरिक चियांग कहते हैं, “एक प्रभावशाली वित्तीय प्रबंधन सरकार की प्राथमिकता रही है। इससे देश और नागरिक अपने वित्तीय दबाव काफ़ी कम रहते हैं।”
“ब्रुनेई में अक्सर भरा हुआ सरपल्स में रहता है। इससे एलियन कर्ज़ कोफिन्स करने में आसानी होती है। देश में व्यस्तता भी कम होती है। इसी कारण देश को कल्याणकारी काम के लिए क्रेडिट के लिए साइनेज नहीं करना पड़ता है।”
लेकिन ब्रुनेई में सब अच्छा ही हो ये जरूरी नहीं है।
देश को अपनी उद्योग की पेट्रो उत्पादों पर बंधन समाप्त हो जाएगा क्योंकि दुनिया भर में कार्बन एक-दूसरे से बंधे हुए हैं और कब्जे के साथ काम कर रहे हैं और पेट्रो उत्पादों की खपत गिरेगी।
इसलिए सभी उद्योगों का एक उत्पाद हमेशा के लिए ख़तरनाक होता है।
आईसीएक्स में फोरेन ट्रेड के जानकार कहते हैं, “गैस और तेल पर भारी मामला दर्ज करने में परेशानी हो सकती है। क्योंकि दुनिया का ऊर्जा मॉडल एक परिवर्तन के दौर में है।”
सख़्त इस्लामी क़ानून
ब्रुनेई वर्ष 1888 में एक ब्रिटिश प्रोटेक्टेट बन गया था। यहां साल 1929 में तेल के भण्डार में मील और ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ।
साल 1962 में देश में विद्रोह हुआ जिसमें राजशाही का विरोध करने वाले लोगों ने हथियार उठा लिए। इस विद्रोह को कुचलने के बाद देश के शासकों ने मलेशिया के साथ विलय से इंकार कर दिया।
इसी वर्ष ब्रुनेई ने स्वयं को अलग देश घोषित कर दिया। साल 1984 में ब्रिटिश चली गईं और ये एक स्वतंत्र देश बन गईं।
ब्रुनेई के सुल्तान हसन अल बोलकिया हैं। उनका राज्याभिषेक अगस्त 1968 को हुआ था। उनके पिता हाजी उमर अली सैफुद्दीन ने सिंहासन छोड़ दिया, उन्हें राजगद्दी सौंपी गई थी।
साल 1984 में आज़ादी के बाद सुल्तान हसनअल ने देश के प्रधान मंत्री की घोषणा की और देश में ‘मलाय मुस्लिम राजशाही’ की विचारधारा को अपनाया। इस नई व्यवस्था में सुल्तान को इस्लाम के रक्षक के रूप में पेश किया गया।
वर्ष 2014 में ब्रुनेई पूर्वी एशिया में शरिया क़ानून को लागू करने वाला पहला देश बना।
लेकिन 2019 में उन्होंने समलैंगिक लोगों को शटर से सज़ा-ए-मौत देने के कानून को रद्द कर दिया। ऐसा करने के लिए उन्होंने हॉलीवुड एक्टर जॉर्ज क्लूनी जैसे बड़े लोगों पर दबाव डाला था।