<पी शैली ="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफ़ाई करें;"<अवधि शैली ="फ़ॉन्ट-वजन: 400;">बांग्लादेशी सरकार के विरोध में और शेख हसीना के ताज को लेकर दस हजार लोग ढाका में घूमने पर उतर रहे हैं। इस देश में बढ़ते हुए राजनीतिक तनाव, जीवन भर की बढ़ती लागत और देश की वृद्धावस्था के बीच दावेदारों ने चुनाव की मांग की है। ये एक ऐसा देश की हालत है जो COVID महामारी के दौरान भी विकास के पथ पर बढ़ रहा था और जिसने इस गति को बनाए रखा था।
अचानक ऐसा क्या हुआ कि इस देश को अपनी हिचकोलेस्प्रेस इंडस्ट्री को स्थिर करने के लिए पिछले महीने नवंबर में वैश्विक स्तर पर जलाशय कोष (IMF) से मदद की छानबीन की गई है। आई एक्सएमएल ने इस देश की मदद के लिए हमी भर दी है और वो इस देश को 4.5 बिलियन डॉलर (लगभग 37,000 करोड़ रुपये) की आर्थिक मदद दी जा रही है।
गौर करने वाली बात ये है कि यह एक ऐसी उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण उलटफेर है जो पिछले दो दशकों में अर्थव्यस्था का बेहतर दौर देख चुका है। विशेष रूप से 2017 के बाद से मजबूत आर्थिक विकास के दम पर बांग्लादेश 2020 में प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत को भी भारी नुकसान हुआ है। अब यहां आलम यह है कि बढ़ते आर्थिक संकट को जुनिये के लिए इस देश के प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) अवामी लीग सरकार और उनके नेता शेख प्रधानमंत्री हसीना को अपमानित कर रहे हैं।
वो देश भर में कई विरोध रैलियों को अंजाम दे रहा है। बीएनपी ने इसे एक दशक से अधिक आधिपत्य से बांग्लादेशी शेख पर कब्जा कर लिया है हसीना को चिपचिपे लक्ष्यों की तरह देख रहा है। बांग्लादेश की उद्योग के साथ ऐसा गलत हुआ कि ये पाकिस्तान और श्रीलंका की तरह आर्थिक दिवालियेपन की दहलीज पर पहुंच गया है?
कम काम ने विदेशी मुद्रा विक्रेता पर असर डाला
दरअसल सही राह चल रही बांग्लादेश की अर्थव्यवस्थाओं को पटरी से उतारते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध ने प्रमुख भूमिका निभाई है। इस देश से होने वाला दावा इस जंग की दावेदार है। पश्चिमी देशों की मांग में गिरावट आने से देश का दृष्टिकोण सेक्टर खराब तरह से प्रभावित होता है। इससे सीधे तौर पर बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा विक्रेता पर असर पड़ा है।
देश का विदेशी मुद्रा विक्रेता कपड़ों की संभावना में गिरावट और प्रेषण प्रवाह प्रेषित जाने वाली रकम की वजह से तेजी से घट रहा है। 2011 से 2021 तक बांग्लादेश का कुल विदेशी कर्ज 238 फीसदी से बढ़कर 91.43 अरब डॉलर हो गया। ज़राब है कि यह अवधि के दौरान श्रीलंका के ऋण में 119 प्रतिशत के कारण हुए और ये अभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ।
बांग्लादेश में नवंबर में मुद्रा (महंगाई) का दर लगभग 9 प्रतिशत पहुंच गया, जिसमें से हजारों स्टैक गारमेंट वर्कर्स अब भुखमरी के वर्जिन पर पहुंच गए हैं। 2022 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मदद देने वाला श्रीलंका और पाकिस्तान के बाद हाल ही में बांग्लादेश तीसरा दक्षिण एशियाई देश बन गया है।
बिजली कट और ईंधन के रहस्य ने रहस्य विज्ञान
जब कोविड-19 महामारी की वजह से अपनी बड़ी युवा आबादी के साथ बांग्लादेश दक्षिण एशिया में आर्थिक विकास में सबसे आगे था। अब देश की गरीबी से अमीर बनने की कहानी को इसकी राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था कमजोर कर रही है। हाल ही में बिजली के कटआउट और दस्तावेजों के संबंध में संबंधों की वजह से वहां सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का जोर है।
ये बांग्लादेश के गहरे आर्थिक संकट में फंसने का सीधा संकेत है। यहां पर बांग्लादेश, ब्रिटेन की तरह यह दावा कर सकता है कि उसका मौजूदा आर्थिक संकट बाहरी प्रभावों की वजह से है। लेकिन जब वैश्विक मांग में गिरावट और COVID-19 महामारी की वजह से मांग-प्लाई चेन में रुकावट आई और अब यूक्रेन में रूस के युद्ध ने बांग्लादेश के एकाधिकार को बढ़ा दिया जो 2020 से बहुत पहले मौजूद थे।
अमेरिकी इंस्टीट्यूट ऑफ बांग्लादेश अध्ययन के अध्यक्ष अली रियाज के अनुसार, "यह एक संकट की स्थिति है जो सरकार के कुप्रबंधन से उभर रहा है।भले ही कोविड संकट नहीं था, भले ही यूक्रेन संकट नहीं था, बांग्लादेश अभी भी इस संकट में नींद में चल रहा था।" ये जगजाहिर है कि रूस-यूक्रेन जंग ने दुनिया भर में ऊर्जा की लागत बढ़ा दी है, लेकिन यह बांग्लादेश ऊपर की ओर विशेष रूप से बहुत भारी पड़ा है।
दरअसल ये देश अपने कुल तेल और परिष्कृत ईंधन (रिफाइंड ईंधन) का लगभग 77 प्रतिशत आयात करता है। देश का भारी ईंधन संकट बिजली को चालू रख की क्षमता पर गहरा असर पड़ रहा है। यहां पूरे देश में 10 -10 घंटे की लाइटनिंग शॉट की जा रही है जो यहां के लोगों को डार्क मिरर कर रहा है। बाकी आग में दृश्य विवरण का काम सरकार ने किया है।
पाव अधिकारों को चालू रखने के लिए बांग्लादेशी सरकार ने कई निजी बिजली देने वालों से दावा किया। मांग के अनुसार बिजली न देने पर भी सरकार इन लोगों को सब्सिडी देता है और भुगतान करता है। दरअसल इस साल ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश की एक रिपोर्ट में जारी की गई एक रिपोर्ट में तीन बिजली परियोजना की जांच में भ्रष्टाचार के सबूत मिले हैं।
आईएमएफ की मदद कैसे काम करेगी?
आईएमएफ के अनुसार, "बांग्लादेश की मांग की मांग यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से आर्थिक बाधाओं से अपनी अर्थव्यवस्थाओं के विकास और विकास परिवर्तन से व्यापक आर्थिक प्रबंधन के रोजगार को सहारा देने का हिस्सा है।" लेकिन बांग्लादेश की मदद का केवल ये एक ही मकसद नहीं है। वास्तव में भले ही बांग्लादेश इन अटक अटक से स्थिति है, लंबे समय से चलते आग्राम परिवर्तन, निजी निवेश जैसे मुद्दों को हल करना भी उनके लिए अहम है।
इसमें जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाला आर्थिक जोखिम का खतरा भी शामिल है। बांग्लादेश के लिए वर्ष 2031 तक सबसे कम विकसित देश और मध्य-आय का स्तर हासिल करने के लक्ष्य तक दूध पिलाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है। इनमें अपनी बीती संभावनाओं को रहने के आधार पर विकास की वृद्धि, निजी निवेश को ड्रू करना, नामांकन और सृजन परिवर्तन से विवाद जैसे मुद्दे अहम हैं।