श्रीलंका आर्थिक संकट: 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद श्रीलंका सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने अपने राष्ट्रपति फिर जाने के बाद संसद में देश को इस संकट से उबरने की कसम खाई थी। आर्थिक संकट से श्रीलंका को निकालने के लिए उन्होंने अब ये कदम उठाया है।
राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सभी मंत्रालयों को इस साल के बजट में उन पर कार्रवाई करने के लिए पांच प्रतिशत की छंटनी करने का निर्देश दिया है। यह निर्णय उन्होंने इसलिए उठाया है क्योंकि श्रीलंका का वित्तीय संकट काफी गहरा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे देश के आर्थिक संकट का पूर्व अनुमान अनुमान से कहीं अधिक गहरा है।
क्या बोले परिवहन मंत्री बंडूला गुणावर्धने?
मंगलवार (10 जनवरी) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्रीलंका के प्रवक्ता और परिवहन मंत्री बंडूला गुणावर्धने ने बताया कि राष्ट्रपति ने कैबिनेट को सूचित किया कि सरकार की योजनाओं में पैसा काफी घट गया है। गुणावर्धन ने चीजों को स्पष्ट करते हुए कहा कि 2023 के पहले कुछ महीने में काफी कमाई की जा सकती थी, लेकिन पिछले साल से जारी आर्थिक संकट की वजह से इसमें भारी कमी आई है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट हमारे अनुमान से भी कहीं अधिक गंभीर है। राष्ट्रपति ने सोमवार को मंत्रिमंडल को 2023 के बजट में विभिन्न मंत्रालयों के प्रमुखों को पांच प्रतिशत की कमी करने के निर्देश दिए हैं। बंडूला गुणावर्धने ने कहा कि सरकारी कर्मियों के जनवरी और फरवरी के बीच वेतन का संकट पैदा हो गया है।
पिछले साल बदतर हो गए थे
श्रीलंका में पिछले वर्षों में आर्थिक कारणों से स्थिति और भी बदतर हो गई थी। वहां पर गंदगी की वजह से खाने के बांधों में इतनी बड़ी देनदारी हो गई थी कि लोग रोजाना का सामान भी नहीं खरीद रहे थे। वहां पर पेट्रोल, केरोसिन, दवा और आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है। जिसके बाद आंदोलनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर हमला कर दिया। इसके बाद रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका का नया राष्ट्रपति चुना गया था।