बैंक डकैती: बैंक में डकैती या लूट होना लगभग सभी देशों में आम बात है। भारत में बैंक लूट से संबधित खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं लेकिन पिछले साल डेनमार्क ने नया रिकॉर्ड बनाया। दावा किया जा रहा है कि 2022 में बैंक लूट या लूट की ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है।
डेनमार्क की बैंक यूनियन का दावा है कि देश में पिछले एक साल के बैंक कर्मचारियों के लिए आपस में बहुत कुछ सोचा जा रहा है। देश में बैंक डकैती या लूट की एक भी घटना सामने नहीं आई। बैंक धोखाधड़ी न होने के लिए डेनमार्क में घाटा होने को बड़ा कारण माना जा रहा है।
इसके साथ ही पुलिस की शैली को भी श्रेय दिया जा रहा है। सूचनाओं की उपयोगिता तो यहां की सरकार का प्रयास कैशलेस सुविधा को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही दावा किया जा रहा है कि बैंक के बाहर उच्च गुणवत्ता वाली तकनीक की वजह से भी ऐसी घटना देखने को नहीं मिली हैं।
गदगद हैं बैंक कर्मचारी
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, डेनमार्क के अर्जक कामगार यूनियन फॉर बैलेट के दलाल स्टीन ऑलसेन ने बताया कि ऐसी घटनाएं न होना हमारे लिए बेहद सुखद रही हैं। बैंक लूट की हरकत से कर्मचारी परेशान रहते हैं, साथ ही उनकी मानसिक स्थिति पर भी बहुत नाकारात्मक असर पड़ता है। यह हमारा रिकॉर्ड के लिए सकारात्मक माहौल पैदा करेगा।
डेनमार्क के सेंट्रल बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में देश के 25 प्रतिशत लोग नशे के लिए आवेदन करते थे। पांच साल बाद 2022 में यह पात्र कंपोनेंट 10 प्रतिशत से भी कम हो गया। इसी तरह से आपराधिक रिकॉर्ड की बात करें तो साल 2000 में बैंक डकैती के कुल 221 मामले सामने आए थे। 2017 तक बैंक में होने वाले अपराध का यह पात्र घटक 10 रह गया था। ऐसे में पिछले साल की लूट या डकैती का एक भी मामला दर्ज नहीं होने से पुलिस विभाग की भी सांसें थम गई हैं।
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