भारत पाकिस्तान संबंध: भारत के साथ हुए तीन युद्ध के बाद हमने अपना सब कुछ सीखा है… जैसे ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने दुबई के एक अरबिया टीवी चैनल से ये कहा तो भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में करारों का दौर भी शुरू हो गया। पाक की तरफ से ये बयान तब आया जब वहां आतंकवाद और आर्थिक संकट चरम पर पहुंच गया।
दशकों से भारत के खिलाफ धारणा का पालन करने वाले पाकिस्तान के अचानक इस तरह से बदले रूख के पीछे एक बड़ी वजह है कि वहां स्थिति खराब से बदतर होते जा रहे हैं। ऐसे में वह भारत के सामने खुद को कमजोर न दिखाकर दुनिया के सामने अपनी दरियादिली और नेकनीयती का नमूना पेश करने की कोशिश में है। अब सवाल ये है कि क्रॉस बॉर्डर आतंक को बढ़ावा देना और उत्तेजक पड़ोसी की बातचीत की शुरुआत को भारत किस तरह लेगा? क्या दोनों देशों के बीच दुश्मनी का ये दौर खत्म हो जाएगा?
अमन की दरकार पाक को क्यों है?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के हालात को देखकर खासे परेशान हैं। वित्तीय संकट को देखते हुए उन्होंने लगातार पाकिस्तान को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उनके दोस्त देशों से और अधिक लोन से शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री शाहबाज ने ये भी कहा कि नुकसान की परेशानी से जूझ रहे देश की आर्थिक स्थिति के लिए ये कारण समाधान नहीं है।
पाकिस्तान के आर्थिक हालात वहां चल रहे राजनीतिक संकट की वजह से खासे खराब हैं। रुपये का मूल्य तेजी से नीचे जा रहा है। रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। COVID की महामारी के बाद इस पड़ोसी देश में आई भीषण बाढ़ ने वहां मुसीबतें बढ़ा दी हैं। इसके साथ वैश्विक विद्युत संकट से स्थिति बेकाबू हो गई।
ऐसे में देश के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ये कहते हैं कि वह भारत के साथ संबंधों को लेकर संजीदा है तो ये बात कुछ हजम नहीं है। दरअसल हर वक्त जिस पड़ोसी देश भारत की छाया को पकड़ने की पाकिस्तान लगातार कोशिश करता रहता है। उससे अचानक से लहजे में आना। पीएम का ये कहना है कि यह हम पर स्थायी रूप से करता है कि हम अमन-चैन से रहे और जिम्मेदारी लें या फिर एक-दूसरे से झगड़कर अधिकार और महत्व को बर्बाद करें.
आलम ये है कि जिस जम्मू-कश्मीर के मुद्दों को वैश्विक मंचों पर जोड़ते हैं वो हमेशा भारत को दिखाते की कोशिशों में रहते हैं। अब वो उस पर भी बात करने को तैयार हैं। पाक पीएम ने कहा, ”मेरा भारत के नेतृत्व और पीएम नरेंद्र मोदी को संदेश है कि अब हम अपने कश्मीर जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए पूरी संजीदगी और ईमानदारी से बात करते हैं।’
उन्होंने आगे कहा, “हम पड़ोसी है कि हम एक-दूसरे के साथ रहते हैं, हम भारत के साथ मिलकर तीन जंग के परिणाम प्राप्त कर चुके हैं जो परेशानी, गरीबी और लोगों के लिए रोजगार लेकर आए हैं। हमने अपना सब कुछ सीखा है। हम अमन से रहना चाहते हैं और अपने वास्तविक खाते को सुलझाना चाहते हैं। गरीबी मिटाने वाले, असहाय लोगों के साथ तालीम, स्वास्थ्य की सुविधा अपने लोगों को देना चाहते हैं। हम ब्लॉक और देरी पर अपने संसाधन बर्बाद नहीं करना चाहते हैं।”
पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ ने कहा, “यूएई परमाणु हथियार संपन्न भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत फिर से शुरू करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।” पिछले हफ्ते पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा था कि उनका देश है कश्मीर सहित भारत के साथ सभी मुद्दों के समाधान में तीसरे पक्ष की मुलाकात का स्वागत करता है। बलोच ने ये भी कहा था कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत जोखिम को लेकर संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत प्रयास करेगा।
आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं
मस्जिदा फंसाया गया है। भारत और पाकिस्तान के रिश्ते कश्मीर को लेकर पहले से ही तनातनी वाले हैं। भारत पाकिस्तान की तरफ से भारत में आने वाले आतंकवाद से पहले ही तंग आ चुका है। भारत कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष की बैठक को पहले खारिज कर दिया गया है। नई दिल्ली से साफ कहा गया है कि कश्मीर, भारत और पाकिस्तान के बीच एक ही दायरा है और इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले ही कहा है, “जम्मू और कश्मीर और दोनों ईमेल हस्ताक्षर प्रदेश हमेशा भारत के दृष्टिकोण और अभिभाषण भाग होंगे। किसी अन्य देश के पास इस पर टिप्पणी करने का कोई हक नहीं है।” भारत का कहना है कि आतंकवाद और बातचीत के साथ-साथ चल नहीं सकता और ठोकर को बातचीत की बहाली के लिए अनुकूल माहौल में संभव हो सकता है।
दरसल 5 अगस्त, 2019 को भारत ने संविधान के लेखों को 370 को रद्द कर जम्मू-कश्मीर के विशेष निशान को खत्म कर दिया था और जम्मू और निशान दो केंद्र अकेले प्रदेशों में बांट दिया था। भारत के इस फैसले पर पाकिस्तान से सख्त प्रतिक्रिया दी गई थी। पाकिस्तान ने पाकिस्तान से भारत के राजदूत को वापस भेज दिया था। यही नहीं विवरण को भी कम कर दिया था। तब से पाकिस्तान और भारत के बीच आपसी संबंध में भी ठहराव है। इसके जवाब में भारत ने कहा था कि पूरा जम्मू कश्मीर और ईमेल चिह्न चिह्न प्रदेश भारत का हिस्सा था और हमेशा बना रहेगा।
पाकिस्तान अब अड़ा भी है
पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ के भारत के साथ संजीदगी से बातचीत की मंशा एक दिन पहले ही जाहिर हो गई जब पाक पीएमओ की प्रवक्ता ने 17 जनवरी को बयान दिया। इस बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान भारत के साथ अपने विनिर्देशों के मुद्दों को उजागर करना चाहता है, लेकिन जब तक भारत 5 अगस्त, 2019 के फैसले को वापस नहीं लेता है तब तक भारत के साथ बातचीत नहीं हो सकती है।
साल 2021 में पाकिस्तान और भारत के बीच कंट्रोल लाइन पर युद्ध विराम समझौते के बाद कुछ ऐसे हालात थे। तब दोनों देशों की ओर से राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों के कुछ बयान आए थे। तब राणिक और आर्थिक कारणों से सीमा पर अमन-चैन टिकने को लेकर दोनों तरफ से कुछ नरम नजर आई थी, लेकिन तब भी कश्मीर का विशेष राज्य का अधिकार खत्म होने का मामिल था। तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उन्होंने कहा था कि अगस्त 2019 में खत्म कर दिए गए कश्मीर की विशेष संवैधानिक व्यवस्था की बहाली से पहले भारत के साथ संबंधों को सामान्य करना कश्मीरियों के साथ दबदबा होगा।
सीसीटीवी भारतीय सेना के प्रमुख जनरल शॉट मुकुंद नरवणे ने उस वक्त अपना अहम बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान और भारत के बीच बंधे हुए विश्वास को बहाल करके पूरी तरह से पाकिस्तान की जिम्मेदारी है। तब जनरल नरवणे ने कहा था कि पाकिस्तान और भारत के दशकों के बीच पुराना अविश्वास है और इसे रात-रात खत्म नहीं किया जा सकता है। अगर पाकिस्तान युद्ध विराम का सम्मान करता है और भारत में आतंकी बंध बंद कर देता है तो यकीन बढ़ सकता है।
भारत के बयान से पहले पाकिस्तान के सरहद सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजा ने एलओसी पर युद्ध विराम समझौते के बाद कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच मजबूत संबंध वो चाबियां हैं जो पूर्व और पश्चिम एशिया के बीच संपर्क पक्का कर दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता का दायरा हो सकता है।
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय में 2013 से 2017 के बीच प्रवक्ता रही तसनीम असलम ने कहा था कि भारत को टिकने के लिए कश्मीर और अफगानिस्तान में ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे इशारा मिले कि वह रिश्ते सामान्य करना चाहता है। उनका कहना था कि भारत को पहले कश्मीर का विशेष स्तर बहाल किया जाना चाहिए। ये भी साफ है कि भारत ऐसा कभी नहीं करेगा।
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