- उस्मान ज़ाहिद
- बीबीसी संवाददाता, फ्री
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि उनकी पाकिस्तान की नई सेना के अध्यक्ष से कोई संबंध नहीं है। बीबीसी को दिए गए एक खास इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा कि शहबाज शरीफ की सरकार इसी साल अप्रैल में आम चुनाव के लिए मजबूर हो जाएगी।
इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ ने कुछ दिनों पहले पंजाब और अब ख़ैबर पख़्तूनध्वाह विधानसभा को तोड़ दिया है। पार्टी के कथित इमरान ख़ान से बीबीसी संवाददाता ने पूछा कि क्या वो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधार और देश की स्थिति ठीक करने के लिए शाहबाज़ सरफ़ सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार हैं?
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इमरान खान का कहना था, “आज तक कौन सा ऐसा नेता आया है जो अपनी ही सरकार को गिरा देता है जो कि 70 फ़ीसद पाकिस्तान है। यह सरकार (शहबाज़ सरफ़ सरकार) नीलामी के लिए आई है, चुनाव के लिए वोट नहीं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि “शहबाज शरीफ़ की सरकार सांसद की ख़रीद-फ़रोख़्त से आई है जो 20-25 करोड़ रुपये देकर लोगों को ख़रीदा है। जनरल बाज़वा ने उनकी मदद की, उन्हें हमारे ऊपर बिठाने के लिए।”
इमरान ख़ान सरफ़ सरकार पर हमला करते हुए कहा, “उन्होंने 1100 अरब रुपए के भ्रष्टाचार के मामले को खत्म कर दिया। हमारी अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क करके रख दिया। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कभी ऐसी नहीं थी, जो आज है।”
उन्होंने कहा कि इससे समझौता का केवल एक ही हल है, “साफ-सुथरा चुनाव। जब तक पाकिस्तान में चुनाव नहीं होते, ना तो देश के अंदर का कोई बेरोजगार या इस सरकार पर भरोसा करता है और ना ही बाहर का कोई मुद्दा। “
उन्होंने आगे कहा, “हम लोग एक दलदल में धंसते जा रहे हैं। श्रीलंका जैसी स्थिति से बचने के लिए एक ही रास्ता है, देश में तीतर-सुथरा चुनाव हो। इसी कारण हमं दो-दो प्रांतों में अपनी सरकार गिरा दी।”
‘अप्रैल में चुनाव के लिए मजबूर होगी सरकार’
पाकिस्तान के कुछ राजनीतिक दस्तावेजों का मानना है कि पीटीआई अगस्त में आम चुनाव चाहते हैं और सरकार के कई मंत्री बार-बार कह चुके हैं कि मौजूदा सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी और अक्टूबर में आम चुनाव होंगे।
इस पर इमरान ख़ान का कहना था, “मौजूदा सरकार ने क़ानून की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। इस सरकार ने अपने क़ानून के ऊपर कर दिया है। सभी चोरी माफ़ कर दी है। यह वो मामले थे जो उनके दौर में बने बने थे। “
उन्होंने आगे कहा, “शहबाज़, नवाज़, ज़रदारी, मरियम यह सब बच गए हैं। उन पर सारे मुक़दमे खत्म हो गए हैं। ये मक़सद अपने मामले को खत्म करना है।”
उनका कहना था कि इस समय दो महीने भी बहुत दूर लग रहे हैं और अगस्त नहीं, वह इमरान खां तो अभी की बात कर रहे हैं।
इमरान ख़ान का कहना था, “हमें तो लग रहा है कि इस सरकार के लिए दो महीने और गुज़ारना भी मुश्किल है। मेरी अपनी भविष्यवाणी है कि जो भी हो जाए, यह सरकार अप्रैल में चुनाव पर मजबूर हो जाएगी।”
अप्रैल 2023 में आम चुनाव होना इसलिए भी अहम होगा क्योंकि ठीक एक साल पहले इसी में इमरान खान की सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ था और उनकी सरकार गिर गई थी और वो पिछले एक साल से पाकिस्तान में समय से पहले चुनाव डरावने की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि “पाकिस्तानी सेना ने परवेज इलाही पर पूरा ज़ोर दिया कि वो नून लीग के पेज पर जाएं या नौकरी के पद से इस्तीफ़ा नहीं दें। लेकिन हमने फ़ैसला किया था कि हम विधानसभा को भंग कर देंगे।”
इमरान ख़ान ने आगे कहा, “मगर उन्होंने हमसे वफ़ादारी निभाई और हमें वफ़ादारी वापस चली गई। उनकी (परवेज इलाही) पार्टी पीटीआई में विलय हो जाएगा और वो हमारी पार्टी का हिस्सा बन जाएंगे।”
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‘नई सेना प्रमुख से हमारा कोई संबंध नहीं‘
पाकिस्तान में एक आम राय है कि राजनीतिक जोखिम के कारण सरकार आर्थिक मोर्चे पर कोई फ़ैसला नहीं ले पा रही है और कुछ सख्ती का कहना है कि तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की प्रतिबद्धता को लेकर इस प्रतिबद्धता को बढ़ाया जा रहा है।
इन जेमियों को खारिज करते हुए इमरान ख़ान ने कहा, “उनसे कोई यह सवाल नहीं पूछता कि वे साज़िश करके हमारी सरकार क्यों गिराई गई थी जबकि 17 साल में हमारी सबसे बेहतर आर्थिक स्थिति थी।”
उन्होंने कहा, “हम कौन सी गलत कर रहे थे कि वे सेना प्रमुख के साथ मिलकर हमारी सरकार गिरा दी। उसके बाद उन्हें संभाली नहीं गई। मैंने और चाहत तरीन (उस समय के वित्त मंत्री) ने मिलकर जनरल बजाज को बताया था कि अगर आप राजनीतिक क्षेत्र बनाने की तो उद्योग को कोई संभाल नहीं पाएगा। और ऐसा ही हुआ।”
जनरल बाजवा पर हमला करते हुए इमरान खान ने कहा, “जो (शहबाज शरीफ सरकार) आते हैं उसके साथ ही अंदाज हो गया था कि उनके पास तो कोई सड़क जाम नहीं है। जनरल बाजवा ने उनके साथ मिलकर जो किया है, दुश्मन भी पाकिस्तान के साथ ना करता है।”
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि उठा कर देख लें कि अप्रैल 2022 में पाकिस्तान खड़ा था और आज कह रहे हैं। उनका कहना था, “मेरी सरकार के समय उन्होंने तीन लार्ज मार्च किए थे। हर अधिकार मेरी सरकार की आलोचना कर रहे थे, उसके बावजूद हम विकास कर रहे थे।”
पाकिस्तान की नई सेना के प्रमुख जनरल आसीम मुनीर से संबंधों के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में इमरान ख़ान ने कहा, “हमारा नई सेना प्रमुख से कोई संबंध नहीं है।”
‘दहशतगर्दी में अचानक नहीं आई’
इमरान ख़ान ने कहा कि उन्होंने कई मामलों में अपनी राय बदली है। क्लाइंट के साथ बातचीत के मामले में उनकी राय बिल्कुल स्पष्ट है कि उनकी शांति वार्ता बहाल की जानी चाहिए।
लेकिन हाल में चरमपंथी गतिविधियों में तेजी के बाद क्या उनकी राय में कोई बदलाव नहीं आया है,
यह पूछे जाने पर इमरान ख़ान का कहना था, “ऐसा नहीं हुआ है। जैसे ही अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता प्रतिस्थापना, तो अफ़ग़ानिस्तान में बैठी टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) को अफ़ग़ानिस्तान की आन्दोलन सरकार ने पाकिस्तान को वापस जाने के लिए कहा। अशरफ़ ग़नी की सरकार उनकी ताकत बढ़ा रही थी और (टीपीटीपी) वहीं से पाकिस्तान पर हमले कर रहे थे।”
इमरान खान ने कहा कि टीटीपी के पाकिस्तान वापसी के बाद पाकिस्तान के पास दो ही विकल्प थे।
उनका कहना था, या तो उन 40 लोगों, लड़ाकों और उनके परिजनों को गोली मारकर मार देते हैं या फिर बसाने की कोशिश करते हैं। सभी राजनीतिक पार्टियां इसके लिए तैयार थीं लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
इमरान ख़ान ने कहा कि पाकिस्तान में किसी तरह की गलती नहीं हुई है। उनका कहना था, “टीटीपी पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्हें वापस नहीं भेजा गया। उनके ऊपर कोई पैसा नहीं खोला गया। हमें इस बात का डर था कि अगर इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो जगह-जगह पर पहुंच गए होंगे, जो हो हो रही है।”
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