चीन एलएसी पर बांध बना रहा है: चीन एक बार फिर सीमा पर हरकत करते नजर आ रहा है। नई उपग्रह तस्वीरों से पता चला है कि चीन, भारत और नेपाल के साथ अपनी सीमाओं के पास गंगा की एक सहायक नदी तिब्बत में एक नया बांध बना रहा है। कुछ दिन पहले ही एक और सैटेलाइट इमेज सामने आई थी, जिससे पता चला कि चीन ने एलएसी (एलएसी) के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में सैन्य, कतारों और पहिए के निर्माण में तेजी से काम करना शुरू कर दिया है।
इंटेल लैब में एक भू-स्थानिक इंटेलीजेंस शोधकर्ता डेमियन साइमन ने गुरुवार को ट्विटर पर तस्वीरें साझा कीं। तस्वीर में नजर आ रहा है कि मई 2021 के बाद से चीन ने तिब्बत के बुरेंग काउंटी स्थित माब्जा जांगबो नदी पर सीढ़ी का विकास किया है और बांध का निर्माण कर रहा है। बता दें कि माबजा जांगबो नदी भारत में गंगा में शामिल होने से पहले नेपाल में गोघरा या करना नदी में बहती है।
2021 की शुरुआत से, चीन भारत और नेपाल के साथ तिराहे की सीमा के उत्तर में कुछ किलोमीटर उत्तर में मब्जा जांगबो नदी पर एक बांध का निर्माण कर रहा है, जबकि संरचना पूरी नहीं हुई है, यह परियोजना भविष्य में पानी पर चीन के नियंत्रण के बारे में चिंताएं बढ़ाएगी। क्षेत्र pic.twitter.com/XH5xSWirMk
– डेमियन साइमन (@detresfa_) जनवरी 19, 2023
डैम कितना लंबा है?
शोधकर्ता डेमियन साइमन ने कहा कि बांध भारत और नेपाल के साथ चीन की सीमा के तिराहे के उत्तर में कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। साइमन ने ये भी बताया कि नई सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, बांध 350 मीटर से 400 मीटर ऊंचा होता है। उन्होंने कहा, “चुंकि निर्माण जारी है तो ऐसे में इसका उद्देश्य पर कुछ अभी नहीं कहा जा सकता है।” हालांकि, साइमन ने कहा कि पास में एक हवाई अड्डा भी बनाया जा रहा है।
बांध बनाने के पीछे चीन का क्या है प्लान?
व्यंजन लोगों ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि बांध, भारत और नेपाल के साथ चीन की सीमाओं के रणनीतिक त्रि-जंक्शन पर स्थित है और उत्तराखंड राज्य के कालापानी क्षेत्र के विपरीत है, जिसका उपयोग माब्जा जांगबो नदी के पानी को मोड़ने या प्रतिबंधित करने वाला है के लिए किया जा सकता है। जानकारों ने कहा कि बांध का इस्तेमाल पानी को स्टोर करने के लिए भी किया जा सकता है, जिसके रहने से नीचे की ओर बाढ़ आ सकती है।
चीनी मीडिया ने राष्ट्रीय सुरक्षा का जिक्र किया था
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल के सालों में चीन ने यारलुंग जांगबो नदी पर कई छोटे बांध बनाए हैं, जिससे उत्तर-पूर्व में इसी तरह की चिंताएं पैदा हुई हैं। चीन की सरकारी मीडिया ने नवंबर 2020 में खबर दी थी कि यारलुंग जांगबो पर प्रस्तावित ‘सुपर डैम’ एक जलविद्युत परियोजना से कहीं अधिक होगी, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बहुत जरूरी है।
क्या है चीन की रणनीति?
रिपोर्ट की शर्त तो चीन ने एलएसी के कई हिस्सों में देनदारी बना ली है। मानदंड का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य संबंध सीमा के साथ क्षेत्रों के दावों को मजबूत करना है। वहीं, भारतीय नेतृत्व ने कहा है कि एलएसी पर शांति के बिना चीन के साथ समग्र संबंध सामान्य नहीं हो सकते। दूसरी ओर, चीनी पक्ष ने कहा है कि दोनों देशों की सीमाओं के मुद्दों को उसके “उचित स्थान” पर रखते हुए अपने संबंध को आगे बढ़ाना चाहिए।
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