जापानी अर्थव्यवस्था: वैश्विक महामारी COVID-19 महामारी का असर कई देशों पर पड़ा, लेकिन अब स्थिति में सुधार है। जापान में पिछले वर्षों में जनवरी-मार्च और जुलाई-सितंबर तिमाहियों में नकारात्मक प्रविष्टि में वृद्धि हुई थी, लेकिन अप्रैल-जून में पिछली तिमाही के रुझान में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पाकिस्तान, श्रीलंका समेत कई देशों के कर्ज की चर्चा हो रही है लेकिन ये भी सच है कि जापान पर भी भारी कर्ज है। पिछले साल सितंबर के आखिरी दिनों में जापान (जापान) के ऊपर कर्ज की राशि 9.2 डॉलर थी। ये राशि उसके आकार से 266 प्रतिशत अधिक है।
अगर दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकतें अमेरिका के ऊपर कर्ज की राशि है तो पता चलता है कि ये करीब 31 निर्देशित डॉलर है। हालांकि अमेरिका के लिए बड़ी राहत की बात यह है कि ये राशि देशों की कमाई (GDP) के करीब 98 प्रतिशत ही है।
जापान पर भारी कर्ज
जापान पर भारी कर्ज होने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि अपनी अर्थव्यवस्था में गति बनाए रखने के लिए देश में वर्षों तक घरेलू खर्च में अधिक पैसा लगाया। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकॉनोमिक्स’ के सीनियर फेलो ताकेशी ताशीरो के संबंध तो जापान में लोग अधिक बचाते हैं, जबकि निवेश कम है। इसलिए यहां मांग बहुत ही कमजोर है। ऐसे में सरकार की ओर से ‘आर्थिक प्रोत्साहन’ की आवश्यकता महसूस होती है।
स्वास्थ्य पर अधिक खर्च
ताकेशी ताशीरो के अनुसार इस समस्या की एक बड़ी वजह जापान में जनसंख्या की स्थिति भी है। जापान के लोग अधिक उम्र तक जंगल की चाहत रखते हैं। ऐसे में सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य पर अधिक खर्च होता है। ऐसा माना जाता है कि जापान में लोग भविष्य को लेकर अधिक आशंकित रहते हैं और बचत पर जोर देते हैं।
कर्ज में डूबने के बाद देश टिका है
दुनिया में सबसे ज्यादा जापान का कर्ज डूबा है लेकिन दिलचस्प बात यह है कि एलियन लिमिटेड होने का विश्वास भी टैगड़ा होने से इंडस्ट्री टिकी है। 1990 के दशक में जापान पर कर्ज का बोझ कम होने लगा था। बताया जाता है कि इस दौरान वित्तीय और वास्तविक कपड़ा कारोबार की स्थिति काफी अनिश्चित रही है। आंकड़ों के मुताबिक साल 1991 में मेकिंग (जीडीपी) और कर्ज का अनुपात 39 प्रतिशत ही था। इसके बाद देश की इकॉनमी में गिरावट आई।
खर्च बढ़ाने की मजबूरी
उद्योग में गिरावट से जापान सरकार कम हुई और खर्च बढ़ाने की मजबूरी दिखाई दी। वर्ष 2000 तक जापान के ऋणों का अनुपात करीब-करीब बराबर हो गया। साल 2010 में कर्ज की राशि से करीब-करीब जोड़े गए। साल 2011 में भूकंप और सुनामी का भारी असर पड़ा था। उसके बाद हाल में कोरोना महामारी से उद्योग जगत भी काफी प्रभावित हुआ। ऐसे में आर्थिक प्रोत्साहन की जरूरत पड़ी।
जापान को कर्ज कैसे मिलते हैं
आर्थिक मंदी की स्थिति से लेकर कोरोना महामारी (कोरोना महामारी) के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा मामलों में जबरदस्त खर्च को पूरा करने के लिए बॉन्ड को ढक दिया गया ताकि इन क्षेत्रों में खर्च को पूरा किया जा सके। जापान के कर्ज मिलने के पीछे एक बड़ी वजह ये रही कि देश कभी डिफाल्टर साबित नहीं हुआ। दूसरा ये कि बेहद ही कम ब्याज पर सरकारी बॉन्ड के जरिए कर्ज मिला।
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