कयामत की घड़ी: पूरी दुनिया के दहाड़े खा रहे हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि वैज्ञानिक कह रहे हैं। दरअसल, शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों ने तीन साल में पहली बार डूम्स क्लॉक में 10 पेपर टाइम कम किया है। दुनिया के मौजूदा हालात को देखते हुए डूम्स क्लॉक का समय कम हो गया है।
परमाणु विज्ञानियों के माने तो यह दुनिया अब नाश से सिर्फ 90 कागजों की दूरी पर रह गई है। आरोपित है कि डूम्सडे क्लॉक का समय दो साल पहले भी बदला था। यह घड़ी दुनिया की विनाश के बारे में बताती है। इसलिए इसे प्रलय की घड़ी कहा जाता है, बताएं कि दो साल पहले जब घड़ी कांटा बदला गया था तब यह सर्वनाश के समय यानी आधी रात (रात 12:00) से हिज 100 सेकंड दूर रह गई थी। लेकिन इस बार यह विनाश से सिर्फ 90 पन्नों की दूरी पर है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस घड़ी में आधी रात का समय होने में उतना ही कम समय रहेगा, दुनिया में परमाणु युद्ध का खतरा उतना ही करीब होगा। वैश्विक के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक विज्ञान को देखते हुए 1947 से यह कथन हैं कि विश्व महाविनाश से कितनी दूर है।
दुनिया होने से मनुष्य 90 दूर है घड़ी
द बुलेटिन ऑफ द एंटोमिक साइंटिस्ट्स’ (बीएएस) ने डूम्सडे क्लॉक की घोषणा करते हुए कहा कि यूक्रेन पर रूस का जारी आक्रमण, महामारी महामारी, जीवाणु संकट और शैतानी सबसे बड़े संकट बने हुए हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, वर्ष 1949 में जब रूस ने पहले परमाणु बम आरडीएस-1 का परीक्षण किया और दुनिया में तेजी से खतरनाक रसायनों की दौड़ शुरू हुई, तब घड़ी घड़ी आधी रात से 180 सेकंड दूर थी। उन्होंने कहा कि चार साल बाद 1953 में इसके समय घटक 120 पेपर पर आ गए। अब इसका समय घटक 90 प्रतिशत पर आ गया है।
वैज्ञानिक क्यों बता रहे हैं खतरनाक स्थिति
बीएएस के अध्यक्ष और सीईओ राहले ब्रॉनसन ने डूम्सडे क्लॉक को लेकर कहा कि मौजूदा समय बेहद खतरनाक है, यह स्थिति प्रत्यक्ष गंभीर स्थिति है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, नाटो और यूक्रेन को चाहिए कि वे इस मसले को पूरी क्षमता से सुलझा दें ताकि घड़ी को पीछे करने में मदद मिल सके। डम्सडे क्लॉक के लिए डैमोक्स का स्तर कई पैमानों पर चलता है। जिसमें युद्ध, अवरुद्ध, विनाशक परिवर्तन, विध्वंसक तकनीक, प्रॉपगैंडा वाले वीडियो और अंतरिक्ष में अवरोध की कोशिश जैसी वैश्विक हलचल से जकड़ी हुई है।
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