इमरान खान पीटीआई सदस्य: पाकिस्तान में इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से हटने के करीब एक साल बाद भी देश की राजनीतिक स्थिति में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर किंग परवेज अशरफ ने शुक्रवार (20 जनवरी) को इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी से जुड़े 35 सदस्यों के साथ गठबंधन स्वीकार किया। यह पार्टी की नेशनल असेंबली (MNA) के सदस्यों की लंबे समय से चली आ रही मांग के अनुसार है। उनमें से काइयों ने पिछले साल अप्रैल में अपना इस्तीफा सौंपा था।
हालांकि, इस्तीफ़ा स्वीकार करने के समय एक विवाद भी हुआ। पाकिस्तान के डेली डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव उठाने की कथित पीटीआई की योजना को खत्म करने की कोशिश में नेशनल असेंबली के अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि अशरफ ने इनकार कर दिया। डॉन ने उन्हें यह कहते हुए कहा, “जब मैं अपवाद स्वीकार नहीं करता हूं तो आक्षेप होता है और जब मैं करता हूं तो रोना-धोना होता है।”
इमरान खान ने लगाया था आरोप
11 अप्रैल, 2022 को पीएम इमरान खान के बदले में शाहबाज शरीफ को पीएम फिर जाने से कुछ देर पहले, 131 पीटीआई सांसदों ने संसद भवन में सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया था। यह कहा गया था कि सरकार द्वारा “इम्पोर्टेड” समझौते को विरोध प्रतिवेदन के लिए दिया गया था। तब इमरान खान आरोप लगाया था कि उन्हें हटाने के पीछे विदेशी हस्तक्षेप शामिल था।
हालांकि, वक्ता अशरफ ने सभी तरह की अटकलों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। हाल ही में दिसंबर तक वो इस बात पर अड़े रहे कि बाद में आपसी समझ को व्यक्तिगत रूप से स्वीकार कर लिया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्णय को स्वेच्छा से और बिना किसी बाहरी दबाव के किया गया था। यह सांसद के गठबंधन ने एक बार में स्वीकार करने की मांग के साथ टकराव किया।
पहले 11 समझौते स्वीकार किए गए थे
नेशनल असेंबली के अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ ने 28 जुलाई 131 को केवल 11 समझौते स्वीकार किए थे। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार जिन नेशनल असेंबली के सहमत हुए थे, वे अब्दुल शकूर शाद, अली मुहम्मद खान, फजल मुहम्मद खान, शौकत अली, फखर जमान खान, फारुख हबीब थे। एजाज अहमद शाह, जमील अहमद खान, मुहम्मद अकरम चीमा, शंदाना गुलजार खान और डॉ शिरीन महरुन्निसा मजार थे। इस साल 17 जनवरी से 34 पीटीआई एमएनए के समझौते पर जाने तक स्पीकर और पीटीआई सांसदों के बीच बिना किसी प्रस्ताव के महीनों के फैसले हुए।